विक्षनरी:विपरीतार्थक शब्द
(विपरीतार्थक शब्द से अनुप्रेषित)
(अ, आ)
सम्पादन- अनाथ- सनाथ
- अवनति- उन्नति
- अंतरंग- बहिरंग
- अल्पज्ञ- बहुज्ञ
- अल्पायु- दीर्घायु
- अवनत- उन्नत
- अंतर्द्वद्व- बहिर्द्वंद्व
- अंतर्मुखी- बहिर्मुखी
- अल्प- बहु
- अपेक्षा- उपेक्षा
- अग्रज- अनुज
- अधम- उत्तम
- अज्ञ- प्रज्ञ
- अगम- सुगम
- अमृत- विष
- अलभ्य- लभ्य
- अरुचि- रुचि
- अथ- इति
- अनुग्रह- विग्रह
- अंत- आदि
- अमावस्या- पूर्णिमा
- अस्त- उदय
- अनुलोम- प्रतिलोम
- अनुरक्ति- विरक्ति
- अमर- मर्त्य
- अग्नि- जल
- अपमान- सम्मान
- अति- अल्प
- अंधकार- प्रकाश
- अल्पसंख्यक- बहुसंख्यक
- आधुनिक- प्राचीन
- आविर्भाव- तिरोभाव
- आगामी- विगत
- आचार- अनाचार
- आत्मा- परमात्मा
- आदान- प्रदान
- आयात- निर्यात
- आकाश- पाताल
- अतिवृष्टि- अनावृष्टि
- अवनि- अंबर
- अनुराग- विराग
- अनुकूल- प्रतिकूल
- आर्द्र - शुष्क
- आशा- निराशा
- आस्तिक - नास्तिक
- आलोक- अंधकार
- आय- व्यय
- आग्रह- अनाग्रह
- आकीर्ण- विकीर्ण
- आधार- लंब
- आकर्षण- विकर्षण
- आध- अंत्य
- आसक्त- अनासक्त
- आजादी- गुलामी
- आभ्यंतर- बाह्य
(इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ऋ)
सम्पादन- इहलोक- परलोक
- इष्ट- अनिष्ट
- ईश्वर- अनीश्वर
- उपसर्ग- प्रत्यय
- उन्मूलन- रोपण
- उदार- कृपण
- उत्कृष्ट- निकृष्ट
- उपयोग- दुरुपयोग
- उपयुक्त- अनुपयुक्त
- उच्च- निम्न
- उत्तीर्ण- अनुत्तीर्ण
- उद्दत- विनीत
- उदयाचल- अस्ताचल
- उत्तरायण- दक्षिणायन
- एकतंत्र- बहुतंत्र
- एड़ी- चोटी
- ऐतिहासिक- अनैतिहासिक
- इच्छा- अनिच्छा
- ईद- मुहर्रम
- उपकार- अपकार
- उत्कर्ष- अपकर्ष
- उदात्त- अनुदात्त
- उत्साह- निरूत्साह
- उत्तम- अधम
- उधमी- निरूधम
- उत्थान- पतन
- उधार- नकद
- उपरि- अध:
- उपभुक्त- अनुपभुक्त
- उग्र- सौम्य
- एकता- अनेकता
- एकत्र- विकीर्ण
- ऐश्वर्य- अनैश्वर्य
- एकेश्वरवाद- बहुदेववाद
(क)
सम्पादन(ख, ग)
सम्पादन(घ)
सम्पादन(च, छ)
सम्पादन(ज, झ)
सम्पादन(त, थ, द, ध)
सम्पादन(न)
सम्पादन(प)
सम्पादन- पंडित- मूर्ख
- पक्ष- विपक्ष
- प्रमुख- गौण
- प्रलय- सृष्टि
- प्रारंभिक- अंतिम
- पाश्चात्य- पूर्वीय
- प्रशंसा- निंदा
- पाप- पुण्य
- परार्थ- स्वार्थ
- पुरस्कार- तिरस्कार
- पूर्ववर्ती- परवर्ती
- परतंत्र- स्वतंत्र
- परमार्थ- स्वार्थ
- परुष- कोमल
- प्रधान- गौण
- प्रवृति- निवृत्ति
- प्राचीन- नवीन
- प्रत्यक्ष- परोक्ष
- प्राकृतिक- कृत्रिम
- पुष्ट- अपुष्ट
- परिश्रम- विश्राम
- पूर्व- पश्चिम
- पूर्णता- अपूर्णता
- प्रयोग- अप्रयोग
(ब, भ)
सम्पादन(म)
सम्पादन(य, र, ल)
सम्पादन(व)
सम्पादन- विवाद- निर्विवाद
- विशिष्ट- साधारण
- विजय- पराजय
- विस्तृत- संक्षिप्त
- विशेष- सामान्य
- वसंत- पतझड़
- बहिष्कार- स्वीकार
- वृध्दि- हृास
- विधवा- सधवा
- विमुख- सम्मुख
- वैतनिक- अवैतनिक
- विशालकाय- लघुकाय
- वीर- कायर
- वृहत्- क्षुद्र
- व्यस्त- अव्यस्त
- व्यावहारिक- अव्यावहारिक
- विपत्ति- संपत्ति
- वृष्टि- अनावृष्टि
- विपद्- संपद्
- वक्र- सरल
- विशिष्ट- सामान्य
- वियोग- मिलन
(स)
सम्पादन- सम - विषम
- सजीव - निर्जीव
- सफल- असफल
- सरल - कुटिल
- सजल - निर्जल
- स्वजाति - विजाति
- सम्मुख - विमुख
- सार्थक - निरर्थक
- सकर्म - निष्कर्म
- सुकर्म - कुकर्म
- सुलभ - दुर्लभ
- सुपथ - कुपथ
- स्तुति - निंदा
- स्मरण - विस्मरण
- संशक - निश्शंक
- सगुण - निर्गुण
- सबल - दुर्बल
- सनाथ - अनाथ
- सहयोगी - प्रतियोगी
- स्वतंत्रता - परतंत्रता
- संयोग - वियोग
- सम्मान - अपमान
- सकाम - निष्काम
- साकार - निराकार
- सुगंध - दुर्गंध
- सुगम - दुर्गम
- सुशील - दु:शील
- स्थूल - सूक्ष्म
- संपद् - विपद्
- सुनाम - दुर्नाम
- संतोष - असंतोष
- सुधा - गरल
- संकल्प - विकल्प
- संन्यासी - गृहस्थ
- स्वधर्म - विधर्म
- समष्टि - व्यष्टि
- संघटन - विघटन
- साक्षर - निरक्षर
- सद्वृत - दुवृत
- समूल - निर्मूल
- सत्कर्म - दुष्कर्म
- सुमति - कुमति
- संकीर्ण - विस्तीर्ण
- सदाशय - दुराशय
- सुकृति - कुकृति
- समास - व्यास
- स्वल्पायु - चिरायु
- सुसंगति - कुसंगति
- सुपरिणाम - दुष्परिणाम
- सौभाग्य - दुर्भाग्य
- सखा - शत्रु
- सौम्य - उग्र
(श, ह, क्ष)
सम्पादनसंदर्भ
सम्पादन१. आधुनिक हिन्दी व्याकरण और रचना- डाॅ० वासुदेवनन्दन प्रसाद, भारती भवन, पृष्ठ- २४९-२५४