दो सखा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

सखा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सखि]

१. वह जो सदा साथ रहता हो । साथी । संगी ।

२. मित्र । दोस्त ।

३. सहयोगी । सहचर ।

४. एक वृक्ष (को॰) ।

५. साहित्य में वह व्यक्ति जो नायक का सहचर हो और जो सुख दु:ख में उसके समान सुख दु:ख को प्राप्त हो । विशेष—सखा चार प्रकार के होते हैं—पीठमर्द, बिट, चेट और विदूषक ।

६. पत्नी की बहन का पति । साढ़ू (को॰) । यौ॰—सखाभाव = मित्रता । सखाविग्रह = आपसी तकरार । मित्रों की लड़ाई ।

सखा ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ सख़ा] दे॰ 'सखावत' [को॰] ।