प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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उदय संज्ञा पुं॰ [स॰ ] [वि॰ उदित]

१. ऊपर आना । निकलना । प्रकट होना । जैसे— (क) सूर्य के उदय से अंधकार दूर हो जाता है । (ख) न जाने हमारे किन बुरे कर्गों का उदय हुआ ? विशेष— ग्रहों और नक्षत्रों के संबंध में इस शब्द का प्रयोग विशेष होता है । क्रि॰ प्र॰ —करना (अकर्मक प्रयोग) = उगना । निकलना । प्रकट होना । उ॰— जनु ससि उदय पुरुब दिसि लीन्हा । औ रबि उदब पछिउँ दिसि कीन्हा । जायसी ग्रं॰, पृ॰ ८५ । करना । —(सकर्मक प्रयोग) = प्रकट करना । प्रकाशित करना । उ॰— तिलक भाल की पर परम मनोहर गोरोचन को दीनो । मानो तान लोक की सोभा अधिक उदय सो कीनो ।—सूर (शब्द॰) । लेना = उगना । निकलना । उ॰— जनु ससि उगय पुरुब दिसि लीन्हा । जायसी ग्रं॰, पृ॰ ८५ । — होना = उगना । मुहा॰—उदय से अस्त तक या लौ=पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक । सारी पृथ्वी में । उ॰—(क) हिरनकश्यप बढ़यो उदय अरु अस्त लौं हठी प्रहलाद चित चरन लायौ । भीर के परे तैं धार सबहिन तजी खभ तैं प्रकट ह्वै जन छुड़ायौ ।— सूर—(शब्द॰) । (ख) चारिहु खंड भीख का बाजा । उदय अस्त तुम ऐस न राजा ।—जायसी (शब्द॰) । यौ॰—सूर्योंदय । चंद्रोदय । शुक्रोदय । कर्मोदय ।

२. वृद्धि । उन्नति । बढ़ती । जैसे—किसी का उदय देखकर जलना नहीं चाहिए । क्रि॰ प्र॰—देना पु [सकर्मक प्रयोग] उन्नति करना । बढ़ती करना । उ॰—प्रबोधौ उदै देइ श्रीबिंदुमाधव ।—केशव (शब्द॰) ।—होना । यौ॰—भाग्योदय ।

३. उदगम । निकलने का स्थान ।

४. उदयाचल ।

५. व्यक्त होना । प्रकट होना । प्रादुर्भाव (को॰) ।

६. सृष्टि (को॰) ।

७. परिणाम । परिणति (को॰) ।

८. कार्य का पूर्णत्व (को॰) ।

९. लाभ (को॰) ।

१०. सद । ब्याज (को॰) ।