प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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परार्थ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दूसरे का काम । दूसरे का उपकार । स्वार्थ का उलटा । उ॰—स्वार्थ सदा रहना परार्थ दूर, और वही परार्थ जो रहे ।—अपरा, पृ॰ १३७ ।

२. सर्वोत्कृष्ट लाभ (को॰) ।

३. मोक्ष । मुक्ति (को॰) ।

परार्थ ^२ वि॰

१. जो दूसरे के अर्थ हो । परनिमित्तक ।

२. अन्य लक्ष्यवाला । अन्यार्थक [को॰] ।