प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कृपा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] [वि॰कृपालु]

१. बिना किसी प्रतिकार की आशा के दुसरे की भलाई करने की इच्छा या वृत्ति । अनुग्रह । दया । मेहरबानी । यौ॰— कृपादृष्टि = दया की दृष्टि । कृपानिकेत = दे॰'कृपायतन' । कृपापात्र, कृपाभाजन = दया का पात्र । दया के योग्य । कृपायतन = दया के निवास । दयालु । कृपासिंधु = कृपा के सागर (भगवान्) ।

२. क्षमा । माफी । जैसे—जो कुछ हो गया, सो हो गया; अब कृपा करो ।