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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अंतरंग ^१ वि॰ [सं॰ अन्तरङ्ग]

१. अत्यंत समीपी । आत्मीय । निकटस्थ । दिली । जिगरी । उ॰—‘वह अपने अंतरंग लोगों का परिचय भी नहीं बताती’ ।—स्कंद॰, पृ॰ ११६ ।

२. मानसिक । (‘बहिरग’ इसका उलटा है) ।

अंतरंग ^२ संज्ञा पृं॰

१. मित्र । दिली दोस्त । आत्मीय । स्वजन । उ॰—‘अनवरी आज इतनी अंतरंग बन गई है’ ।—तितली’ पृ॰ १२४ ।

२. हृदय । उ॰—बरदान आज उस गत युग का कंपित करता है अंतरंग ।—कामायनी, पृ॰ १६२ ।

३. राजाओं के अंतःपुर में जानेवाले अधिकारी ।—वर्ण॰, पृ॰ ९ ।

४. भीतरी अंग । प्रच्छन्न अंग । उ॰—फुनि पुच्छति इंछिनि सु कहि सौत रूप मनि साल । नौ पुच्छो कैसी कहे अंतरंग सु बिसाल ।—पृ॰ रा॰, ६२ । १०४ । यौ॰—अंतरंग मंत्री=निजी सचिव । अंतरंग सचिव=प्राइवेट सेक्रे- टरी । अंतरंग मित्र=दिली दोस्त । अंतरंग सभा=सब कमेटी छोटी कमेटी या प्रबंधकारिणी सभा जिसमें मुख्य सभा से चुने हुए लोग रहते हैँ और जिनकी संख्या नियत रहती ।