प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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नगर संज्ञा पुं॰ [सं॰] मनुष्यों की वह बड़ी वस्ती जो गाँव या कस्बे आदि से बड़ी हो और जिसमें अनेक जातियों तथा पेशों के लोग रहते हों । शहर । विशेष—हमारे यहाँ के प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि जिस स्थान पर बहुत सी जातियों के अनेक व्यपारी और कारीगर रहते हों और प्रधान न्यायालय हो, उसे नगर कहते है । युक्तदिकल्प- तरु नामक ग्रंथ में लिखा है कि राजा को शुभ मुहुर्त में लंबा चौकोर, तिकानो या गोल नगर बसाना चाहिए । इसमें से तिकोना और गोल नगर बुरा समझा जाता है । लंबा नगर बहुत ही शुभ और स्थायी तथा चौकोर नगर चारों प्रकार के फल (अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष) का देनेवाला माना जाता है । पर्या॰—पुर । पुरी । नगरी । पत्तन । पट्टन । पटभेदन । निगम । कटक । स्थानीय । पट्ट । यौ॰—राजनगर । नगरबसेरा । नगरनारि । नगरकीर्तन, आदि ।