प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विकर्षण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. आकर्षण । खींचना ।

२. विभाग । हिस्सा ।

३. एक शास्त्र का नाम, जिसमें आकर्षण करने की विद्या का वर्णन, है । उ॰—सत्य अस्त्र मायास्त्र महाबल घोर तेज तनुकारी । पुनि पर तेज विकर्षण लीजै सौम्य अस्त्र भयहारी—(शब्द॰) ।

४. कामदेव के एक वाण का नाम (को॰) ।

५. निवारण । हटाना । दूरीकरण (को॰) ।

६. खाद्य से परहेज । अन्न से परहेज करना (को॰) ।

७. अन्वेषण । जाँच ।

८. कुश्ती का एक ढँग । अपनी ओर खींचकर गिराना या फेंकना (को॰) ।

९. प्रतिकूल कर्षण । विपरीत दिशा की ओर खींचना (को॰) ।