प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ज्योति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ज्योतिस्]

१. प्रकाश । उजाला । द्युति ।

२. अग्निशिखा । लपट । लौ । मुहा॰—ज्योति जगना = (१) प्रकाश फैलना । (२) किसी देवता के सामने दीपक जलाना ।

३. अग्नि ।

४. सू्र्य॰ ।

५. नक्षत्र ।

६. मेथी ।

७. संगीत में अष्टताल का एक भेद ।

८. आँख की पुतली के मध्य का वह विंदु या स्थान जो दर्शन का प्रधान साधन है ।

९. द्दष्टि ।

१०. अग्नि- ष्टोम यज्ञ की एक संख्या का नाम ।

११. विष्णु ।

१२. वेदांत में परमात्मा का एक नाम । यौ॰—ज्योतिमयी = प्रकाश से भरी हुई । ज्योतिमुख = ज्योति का मुख ।