प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विधर्म ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अपने धर्म को छोड़कर और किसी का धर्म । पराया धर्म ।

२. अन्याय । अधर्म (को॰) ।

३. अपने धर्म को छोड़तर दूसरे का धर्म ग्रहण करना, जो पाँच प्रकार के अधर्मीं में से एक कहा गया है ।

विधर्म ^२ वि॰ [सं॰]

१. जिसकी धर्मशास्त्र में निंदा की गई हो ।

२. जिसमें गुण न हो । गुणहीन ।