क्रिया

मन में किसी कार्य के हो जाने की आशा, इच्छा आदि।

उदाहरण

  1. अब मेरी इसी पर ही आशा है।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

आशा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. अप्राप्त के पाने की इच्छा और थोड़ा बहुत निश्चय । जैसे,—(क) आशा लगाए बैठे हैं, देखें कब उनकी कृपा होती है । (ख) आशा मरे, निराशा जीए ।

२. अभिलषित वस्तु की प्राप्ति के थोड़े बहुत निश्चय से संतोष । जैसे,—आशा है, कल रुपया मिल जायगा । क्रि॰ प्र॰—करना । —तोड़ना । —लगाना । —रखना । मुहा॰—आशा टूटना=आशा न रहना । आशा भंग होना । जैसे, —तुम्हारे नहीं कर देने से हमारी इतने दिनों की आशा टूट गई । आशा तोड़ना=किसी को निराश करना । जैसे,—इस तरह किसी की आशा तोड़ना ठीक नहीं । आशा देना=किसी को उम्मेद बँधाना । किसी को उसके अनुकूल कार्य करने का वचन देना । जैसे,—किसी को आशा देकर धोखा देना ठीक नहीं है । आशा पूजना=आशा पूरी होना । आशा पूरी होना= इच्छा और संभावना के अनुसार किसी कार्य या घटना का होना । जैसे,—बहुत दिनों पर हमारी आशा पूरी हुई । आशा पुरी करना=किसी की इच्छा और निश्चय के अनुसार कार्य करना । आशा बँधना=आशा उत्पन्न होना । जैसे,—रोग कमी पर है, इसी से कुछ आशा बँधती है । आशा- बाँधना=आशा करना । यौ॰—आशातीन । आशापाश । आशाबद्ध । आशाभंग । आशारहित । आशावान् । निराश । हताश ।

३. दिशा । यौ॰—आशागज=दिग्गज । आशापाल=दिक्पाल । आशावसन= दिगंबर । उ॰—आशावसन व्यसन यह तिनहीं । रघुपति चरित होहिं तहँ सुनहीं ।—तुलसी (शब्द॰) ।

४. दक्ष प्रजापति की एक कन्या ।

५. संगीत में एक रोग जो भैरव राग का पुत्र कहा जाता है ।