संज्ञा

उत्तर (uttarm

  1. दक्षिण दिशा के सामने की दिशा। ईशान और वायव्य कोण के बीच की दिशा। उदीची।
  2. किसी बात (सवाल या प्रश्र या इसी तरह की कोई और बात) को सुनकर उसके समाधान के लिये कही हुई बात। जवाब
    उदाहरण – लघु आनन उत्तर देत बड़ी लरिहै मरिहै मारिहै करिहै कुछ साकी। गोरी, गरूर गुमान भरी कहो कौसिक, छोटी सो ढोटी है काकी। — तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १६०।
    जैसे – हमारे प्रश्न का उत्तर अभी नहीं आया।
  3. प्रतिकार। बदला।
    जैसे – हम गालियों का उत्तर घूसों से देंगे।
  4. एक काव्यालंकार जिसमें उत्तर के सुनते ही प्रश्न का अनुमान किया जाता है अथवा प्रश्नों का ऐसा उत्तर दिया जाता है जो अप्रसिद्ध हो।
    जैसे – (क) धेनु धुमरी रावरी ह्याँ कित है जदुबीर, वा तमाल तरुवर तकी, तरनि तनूजा तीर (शब्द॰)। इस उदाहरण में 'तुम्हारी गाय यहाँ कहीँ है' इस उत्तर के सुनने से हमारी गाय यहाँ कहीँ है?' इस प्रश्न का अनुमान होता है। (ख) 'कहा विषम है? दैवगति, सुख कह? तिय गुनगान। दुर्लभ कह? गुन गाहकहि, कहा दुःख? खल जान' (शब्द॰)। इस उदाहरण में 'दुःख क्या है' आदि प्रश्नों के 'खल' आदि अप्रसिद्ध उत्तर होता है।
    उदाहरण – (क) को कहिए जल सों सुखी का कहिए पर श्याम, को कहिए जे रस बिना को कहिए सुख वाम (शव्द॰)। यहाँ 'जल से कोन सुखी है ? इस प्रश्न का उत्तर इसी प्रश्न- वाक्य आदि का शब्द 'कोक (कमल)' है। इसी प्रकार और भी है। (ख) गउ, पीठ पर लेहु, अंग राग अरु हार करु, गृह प्रकाश करि देहु कान्ह कह्यो सारँग नहीं (शब्द॰)। यहाँ गाओ, पीठ पर चढाओ, आदि सब बातों का उत्तर 'सारंग (जिसके अर्थ वीण, घोड़ा, चंदन, फूल और दीपक आदि हैं) नहीं' से दिया गया है। (ग) प्रश्न—घोड़ा क्यों अड़ा, पान क्यों सड़ा, रोटी क्यों जली? उत्तर – 'फोरा न था'।
    यौगिक – उत्तर प्रत्युत्तर।

दिशा-सूचक शब्द

पश्चिमोत्तर उत्तर पूर्वोत्तर
पश्चिम       पूर्व
दक्षिण-पश्चिम दक्षिण दक्षिण-पूर्व

विशेषण

उत्तर (uttar)

  1. पिछला। बाद का। उपरांत का।
    उदाहरण – (क) दैंहहँ दाग स्वकर हत आछे। उत्तर क्रियहिं करहूँगो पाछो। — पद्माकर (शब्द॰)।
    यौगिक – उत्तर भाग। उत्तर काल।
  2. ऊपर का।
    जैसे – उत्तरदंत। उत्तरहुनु। उत्तरारणी।
  3. बढ़कर। श्रेष्ठ।
    जैसे – लोकोत्तर।

क्रियाविशेषण

उत्तर (uttar)

  1. पीछे। बाद।
    जैसे – उत्तरेत्तर।

अनुवाद

यह भी देखिए

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

उत्तर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दक्षिण दिशा के सामने की दिशा । ईशान और वायव्य कोण के बीच की दिशा । उदीची ।

२. किसी बात को सुनकर उसके समाधान के लिये कही हुई बात । जवाब । उ॰—लघु आनन उत्तर देत बड़ी लरिहै मरिहै मारिहै करिहै कुछ साकी । गोरी, गरूर गुमान भरी कहो कौसिक, छोटी सो ढोटी है काकी । — तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १६० । जैसे, हमारे प्रश्न का उत्तर अभी नहीं आया ।

३. प्रतिकार । बदला । जैसे, हम गलियों का उत्तर घूसों से देंगे ।

४. एक वैदिक गीत ।

५. राजा विराट रा पुत्र ।

६. एक काव्यालंकार जिसमें उत्तर के सुनते ही प्रश्न का अनुमान किया जाता है अथवा प्रश्नों का ऐसा उत्तर दिया जाता है जो अप्रसिद्ध हो । जैसे— (क) धेनु धुमरी रावरी ह्याँ कित है जदुबीर, वा तमाल तरुवर तकी, तरनि तनूजा तीर (शब्द॰) । इस उदाहरण में 'तुम्हारी गाय यहाँ कहीँ है' इस उत्तर के सुनने से हमारी गाय यहाँ कहीँ है?' इस प्रश्न का अनुमान होता है ।(ख) 'कहा विषम है? दैवगति, सुख कह? तिय गुनगान । दुर्लभ कह? गुन गाहकहि, कहा दुःख? खल जान' (शब्द॰) । इस उदाहरण में 'दुःख क्या है आदि प्रश्नों के 'खल' आदि अप्रसिद्ध उत्तर होता है । उ॰— (क) को कहिए जल सों सुखी का कहिए पर श्याम, को कहिए जे रस बिना को कहिए सुख वाम (शव्द॰) । यहाँ 'जल से कोन सुखी है ? इस प्रश्न का उत्तर इसी प्रश्न- वाक्य आदि का शब्द 'कोक (कमल)' है । इसी प्रकार और भी है । (ख) गउ, पीठ पर लेहु, अंग राग अरु हार करु, गृह प्रकाश करि देहु कान्ह कह्यो सारँग नहीं (शब्द॰) । यहाँ गाओ, पीठ पर चढाओ, आदि सब बातों का उत्तर 'सारंग (जिसके अर्थ वीण, घोड़ा, चंदन, फूल और दीपक आदि हैं) नहीं' से दिया गया है । (ग) प्रश्न—घोड़ा क्यों अड़ा, पान क्यों सड़ा, रोटी क्यों जली? उत्तर— 'फोरा न था' । यौ॰—उत्तर प्रत्युत्तर ।

उत्तर ^२ वि॰

१. पिछला । बाद का । उपरांत का । उ॰— (क) दैंहहँ दाग स्वकर हत आछे । उत्तर क्रियहिं करहूँगो पाछो ।— पद्माकर (शब्द॰) । यौ॰— उत्तर भाग । उत्तर काल ।

२. ऊपर का । जैसे, उत्तरदंत । उत्तरहुनु । उत्तरारणी

३. बढ़कर । श्रेष्ठ । जैसे,—लोकोत्तर ।

उत्तर ^३ क्रि॰ वि॰ पीछे । बाद । जैसे, उत्तरेत्तर ।