आकाश

हिन्दी

संज्ञा

  1. अम्बर
  2. आसमान
  3. गगन
  4. नभ

पर्यायवाची


प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

आकाश संज्ञा पुं॰[सं॰]

१. अंतरिक्ष । आसमान । गगन । ऊँचाई पर का वह चारों और फैला हुआ अपार स्थान जो नीला और शून्य दिखाई देता । जैसे, — पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं ।

२. साधारण:स वह स्थान जहाँ वायु के अतिरित्क और कुछ न हो; जैसे, — वह योगी ऊपर उठा और बड़ी देर तक आकाश में ठहरा रहा ।

३. शून्य स्थान । वह अनंत विस्तृत अवकाश जिसमें विश्व के छोटे बड़े सब पदार्थ, वंद, सूर्य, ग्रह, उपग्रह आदि स्थित हैं और जो सब पदार्थों के भीतर व्याप्त है । विशेष—वैशेषिककार ने आकाश को द्रव्यों में गिना है । उसके अनुयायी भाष्यकार प्रशस्तपाद ने आकाश, काल और दिशा को एक ही मान है । यद्यपि सूत्र के १७ गुणों में शब्द नहीं हैं, तथापि भाष्यकार ने कुछ और पदार्थों के साथ शब्द को भी ले लिया है । न्याय में भई आकाश को पंचभूतों में माना है और उससे श्रोत्तेंद्रिय की उत्पत्ति मानी है । सांख्यकार ने भी आकाश को प्रकृति का एक विकार और शब्दतन्मात्रा से उत्पन्न माना है और उसका गुण शब्द कहा है । पाश्चात्य दार्शनिकों में से अधिकांश ने आकाश के अनुभव और दूसरे पदार्थों के अनुभव के बीच वही भेद मान है जो वर्तमान प्रत्यक्ष अनुभव और व्यतीत पदार्थों या भविष्य संभावनाओं की स्मृति या चिंतन प्रसूत अनुभव में है । कांट आदि ने आकाश की भावना को अंतःकरण से ही प्राप्त अर्थात् उसी का गुण माना है । उनका कथन है कि जैसे रंगों का अनुभव हमें होता है, पर वास्तव में पदार्थों में उनकी स्थिति नहीं है, केवल हमारे अंतःकरण में है, उसी प्रकार भी है । यौ॰—आकाशकुसुम । आकाशगंगा । आकाशचारी । आकाशचोटी । आकाशजल । आकाशदीपक । आकाशधुरी । आकाशध्रुव । आकाश— नीम । आकाशपुष्प । आकाशभाषित । आकाशफल । आकाशबेल । आकाशमंडल । आकाशमुखी । आकाशमूली । आकाशलोचन । आकाशवल्ली । आकाशवाणी । आकाशवृत्ति । आकाशव्यापी । आकाशास्तिकाय । पर्या॰—द्यौ । द्यु । अभ्र । व्योम । पुष्कर । अंबर । नभ । अंतरिक्ष । गगन । अनंत । सुरवर्त्म । खं । वियत् । विष्णुपद । तारापथ । मेघाध्वा । महापिल । विहायस । मरुद्वर्त्म । मेघवेश्म । मेघवर्त्म । कुताभि अक्षर । विविष्टप । नाक । अनंग । मुहा॰—आकाश की कोर = क्षितिज ।आकाश खुलना = आसमान का साफ होना । बादल का जाना । बादल हटना । जैसे,—दो दिन की बदली के पीछे आज आकाश खुला है । आकाश छूना या चूमना = बहुत ऊँचा होना । जैसे,—काशी के प्रासाद आकाश छूते हैं । आकाश पाताल एक करना = (१) भारी उद्योग करना । जैसे,—जब तक उसने इस काम को पूरा नहीं किया, आकाश पाताल एक किए रहा । (२) आंदोलन करना । हलचल करना । धूम मचाना । जैसे,—वे जरा सी बात के लिये आकाश पाताल एक कर देते हैं । आकाश पाताल का अंतर=बड़ा अंतर । बहुत फर्क । उ॰—तौ भी इनमें उनमें आकाश और पाताल का अंतर है । प्रेमघन॰, भा॰ २, २०३ । आकाश बाँधना=अनहोनी बात कहना । असंभव बात कहना । उ॰—कहा कहति डरपाइ कछू मेरौ घटि जैहै । तुम बाँधति आकाश बात झूठी को सैहै ।—सूर (शब्द॰) । आकाश से बातें करना = बहुत ऊँचा होना । जैसे,—माधवराव के धरहरे आकाश से बातें करते हैं ।

४. अबरक । अभ्रक ।

५. छिद्र । विवर [को॰] ।

६. (गणित में) शून्य [को॰] ।

७. प्रकाश । स्वच्छता [को॰] ।

८. ब्रह्मा [को॰] ।