सं
यह अन्य शब्दों के आगे जुड़ता है, इसका अर्थ साथ, साथ में, जैसा हो जाता है। उदाहरण के लिए युक्त शब्द में किसी के जुडने का पता चलता है, जबकि संयुक्त में सभी के जुड़े होने का पता चलता है। इसी तरह संयोग एक से अधिक घटनाओं के होने से है। गीत से केवल गीत का पता चलता है, जबकि संगीत बहुत से गीत अर्थात् उसमें अनेक वाद्य यन्त्र के स्वर के बारे में भी जानकारी मिलती है।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
सं ^१ अव्य॰ [ सं॰ सम्]
१. एक अव्यय जिसका व्यवहार शोभा, समानता, संगति, उत्कृष्टता, निरंतरता, औचित्य आदि सूचित करने के लिये शब्द के आरंभ में होता है । जेसे,—संभोग, संयोग, संताप, संतुष्ट आदि । कभी कभी इसे जोड़ने पर भी मूल शब्द का अर्थ ज्यों का त्यों बना रहता है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता ।
२. से ।
सं पु ^२ प्रत्य॰ [ हिं॰] करण कारक और उपादान कारक का चिह्न । से । उ॰—तैं एते सं तनु गुण हरयौ । न्याइ बियोगु विधाता करयौ । —छिताई॰, पृ॰९३ ।