दंगा
संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
दंगा † ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] अग्निकरण । उ॰—इक राह चाह लागौ असुर निरसहाय प्राकार नव । अवरंग प्रथी पर उलटियौ, दंग प्रगटयो जाम दव ।—रा॰ रू॰, पृ॰ २० ।
दंगा संज्ञा पुं॰ [फा़॰ दंगल]
१. झगड़ा । बखेड़ा । उपद्रव । उ॰— खेलन लाग बालकन संगा । जब तब करिय सखन दते दंगा ।— विश्राम । (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । यौ॰—दंगा फसाद ।
२. गुल गपाड़ा । हुल्लड़ । शोर । गुल । उ॰—शीश पर गंगा हँसे भुजन भुजंगा हँसैं हाँस ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में ।—पद्माकर (शब्द॰) ।