संज्ञा

  1. धब्बा
  2. कलंक, दोष, लांछन

क्रिया

  1. दागना, जलाना
  2. मृतक का दाहकर्म, मृतक का दाहकर्म करना

उदाहरण

संज्ञा
  1. अरे मेरे कपड़ों में दाग लग गया।
क्रिया
  1. उन्होंने तोप के गोले दाग दिये।
  2. पुत्र वही मरि जाय जो कुल में दाग लगावै

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

दाग ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दग्ध]

१. जलाने का काम । दाह ।

२. मुतक का दाहकर्म । मुर्दा जलाने की क्रिया । मुहा॰—दाग देना = मृतक का दाहकर्म करना । मुरदे का क्रिया कर्म करना ।

३. जलन । डाह । उ॰—उर मानिक की उरबसी डटत घटत द्दग दाग । झलकत बाहर कढ़ि मनौ पिय हिय को अनुराग ।— बिहारी (शब्द॰) ।

४. जलने का चिह्व ।

दाग ^२ संज्ञा पुं॰ [फा़॰ दाग] [वि॰ दागी]

१. किसी वस्तु के तल पर रंग का वह भेद जो थोड़े से स्थान पर अलग दिखाई पड़ता है । धब्बा । चित्ती । जैसे,—(क) उस बिल्ली की पीठ पर कई रंग के दाग हैं । (ख) कपड़े पर का यह दाग धोबी से छूटेगा । उ॰—तुलसी जो मृग मन मरै परै प्रेम पट दाग ।—तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—लगना । विशेष—इस शब्द का अधिकतर प्रयोग ऐसे धब्बे के लिये होता है जो खटकता या बुरा लगता हो । मुहा॰—सफेद दाग = एक प्रकार का कोढ़ जिससे शरीर पर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं । फूल ।

२. निशान । चिह्न । अंक । उ॰—मृगनैनी सैनन भजै लखि बेनी के दाग ।—बिहारी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—लगना । यौ॰—दागबेल ।

३. फल आदि पर पड़ा हुआ सड़ने का चिह्न ।

४. कलंक । ऐब । दोष । लांछन । उ॰—पुत्र वही मरि जाय जो कुल में दाग लगावै ।—गिरिधर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—लगना ।—लगाना ।

५. जलने का चिह्न ।