विशेषण

संज्ञा

संख्या

उच्चारण

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अनुवाद

यह भी देखिए

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

एक ।

७. विवाह के पहले वर कन्या के राशिवर्ग के मिलान के लिये नक्षत्रों का एक गण जिसमें ये नक्षत्र होते हैं—अश्विनी, रेवती, पुष्य, स्वाती, हस्त पुनर्वसु, अनुराधा, मृगशिरा और श्रवण ।

८. सोन (को॰) ।

९. तैंतीस (३३) की संख्या (को॰) ।

१०. एक प्रकार का देवदार वृक्ष (को॰) ।

११. अस्थिसमूह (को॰) ।

१२. एक पर्वत (को॰) ।

१३. स्नुही वृक्ष । सेंहुड़ (को॰) ।

एक वि॰ [सं॰]

१. एकाइयों में सबसे छोटी और पहली संख्या । वह संख्या जिससे जाति या समूह में से किसी अकेली वस्तु या व्यक्ति का बोध हो ।

२. अकेला । एकता । अद्वितीय । बेजोड़ । अनुपम । जैसे—वह अपने ढंग का एक आदमी है । उ॰—प्रभु देखौ एक सुभाई । अति गंभीर उदार उदधि हरि, जान सिरोमनि राइ । —सुर॰, १ ।८ ।

३. कोई । अनिश्चित । किसी । जैसे—सबको एक दिन मरना है । उ॰—एक कहैं अमल कमल मुख सीता जु को, एक कहैं चंद्र सम आनँद को कंद री । —रांमचं॰, पृ॰ ५३ ।

४. एक प्रकार का । सामान । तुल्य । जैसे—एक उमर के चार पाँच लड़के खेल रहे हैं । उ॰—एक रूप तुम भ्राता दोऊ ।—मानस, ४८ । मुहा॰—एक अंक या एक आँक=एक बात । ध्रुव बात । पक्की बात । निश्चय । उ॰—(क) मुख फेरि हँसैं सब राव रंक । तेहि धरे न पैहू एक अंक । —कबीर (शब्द॰) । (ख) जाउँ राम पहिं आयेसु देहु । एकहि आँक मोर हित एहू । — मानस, २ ।१७८ । एक अनार सौ बीमार=किसी चीज के अनेक चाहनेवाले । एक आँख देखना=समान भाव रखना । एक ही तरह का बर्ताव करना । एक आँख न भाना=तनिक भी अच्छा न लगना । नाम मात्र पसंद न आना । उ॰— 'हमें यह बातें एक आँख नहीं भाती; जब देखो बमचख मची हुई हैं ।' —सैर॰, पृ॰ ३२ । एक आधा (वि॰)=थोड़ा । कम । इक्का दुक्का । जैसे—(क) सब लोग चले गए हैं एक आध आदमी रह गए हैं । (ख) अच्छा एक आध रोटी मेरे लिये भी रहने देना । एक एक=(१) हर एक । प्रत्येक । जैसे—एक एक मुहताज को दो दो रोटियाँ दो । (२) अलग अलग । पृथक् पृथक् । जैसे—एक एक आदमी आवे और अपने हिस्से को उठा उठा चलता जाय । (३) बारी बारी । क्रमश: । जैसे—एक एक लड़का मदरसे से उठे और घर की राह ले । एक एक करके=एक के पीछे दूसरा । धीरे धीरे । जैसे,—यह सुन सब लोग एक एक करके चलते हुए । एक एक के दो दो करना=(१) काम बढ़ाना । जैसे— एक एक के दो दो मत करो झटपट काम होनो दो । (२) व्यर्थ समय खोना । दिन काटना । जैसे—वह दिन भर बैठा हुआ एक एक के दो दो किया करता है । उ॰—कहना, एक एक के दो दो कर रहे हैं और नहीं ।—फिसाना॰, भा॰३, पृ॰ २९० । एक ओर या एक तरफ=किनारे । दाहिने या बाएँ । जैसे—'एक तरफ खड़े हो, रास्ता छोड़ दो ।' एक और एक ग्यारह करना=मिलकर शक्ति बढ़ाना । एक और एक ग्यारह होना=कई आदामियों के मिलने से शक्ति बढ़ना । एक कलम=बिल्कुल । सब । एकदम । जैसे—(क) 'साहब ने उनको एक कमल बरखास्त कर कर दिया' । (ख) 'इस खेत में एक कलम ईख ही बो दी गई' । एक के स्थान पर चार सुनना=एक कड़ी बात के बदले चार कड़ी बातें सुनना । उ॰—'वरंच एक के स्थान पर चार सुनने ही पर सन्नद्ध होते हैं । —प्रेमघन॰, भा॰२, पृ॰ २८५ ।

एक के दस सुनाना=एक कड़ी बात के बदले दस कड़ी बातें सुनाना । एक जान=खूब मिला जुला । जो मिलकर एक रूप हो गया हो । (अपनी और किसी की) एक जान करना= (१) किसी की अपनी सी दशा करना । (२) मारना और मर जाना । जैसे—'अब फिर तुम ऐसा करोगे तो मैं अपनी और तुम्हारी जान एक कर दुँगा । एक जान दो कालिब= एक प्राण दो शरीर । अत्यंत कर दूँगा । एक जान दो कालिब= एक प्राण दो शरीर । अत्यंत घनिष्ठ । गहरी दोस्ती । जैसे— 'इन दोनों साहिबों में एक जान दो कालिब का मुआमला है' ।—प्रेमघन॰, भा॰२, पृ॰ ६२ । एक टाँग फिरना=बराबर घूमा करना । बैठकर दम भी न लेना । एक टक=(१) बिना आँख की पलक मारे हुए । अनिमेष । स्थिर दृष्टि से । नजर गड़ाकर । उ॰—(क) भरतहि चितवत एकटक ठाढ़ा । मानस, २ ।१९५ । (ख) उदित बिमल जन हृदय नभ एकटक रही निहारी ।—मानस, २ ।३०२ । एक टाक आसा लगाना= लगातार बहुत दिन से आसारा बँधा रहना । उ॰—जन्म तें एकटक लागि आसा रही विषय विष खात नहिं तृप्ति मानी । सूर॰, १ ।११० । एक ताक=सामन । बराबर । भेदरहित । तुल्य । उ॰—सखन संग हरि जेंवत छाक । प्रेम सहित मैया दै पठयौ सबै बनाए है एक ताक ।—सूर॰ (शब्द॰) । एक तार=वि॰ (१) एक ही नाप का । एक ही रूप रंग का । समान । बराबर । (२) (क्रि॰ वि॰) समभाव से । बराबर । लगातार । उ॰—का जानौं कब होयगा हरि सुमिरन एक तार । का जानौ कब छाँड़िहै यह मन विषय विकार ।— दादू (शब्द॰) । एक तो=पहले तो । पहिली बात तो यह कि । जैसे—(क) 'एक तो वह यों ही उजड्ड है दूसरे आज उसने भाँग पी ली है' । (ख) 'एक तो वहाँ भले आदमियों का संग नहीं दूसरे खाने पीने की भी तकलीफ' । एक दम= (१) बिना रुके । एक क्रम से । लगातार । जैसे—(क) 'यह सड़क एकदम चुनार चली गई है' । (ख) 'एक दम घर ही चले जाना बीच में रुकना मत ।' (२) फौरन । उसी समय । जैसे—'इतना सुनते ही वह एकदम भागा ।' (३) एक बारगी । एक साथ । जैसे—'एकदम इतना इतना बोझ मत लादो कि बैल चल ही न सके । उ॰—'साधारण लोग कहैंगे कहाँ का दरिद्र एकदम से आ गया जो घर की चीजें बेच डालते है ।'—प्रताप॰ ग्रं॰, पृ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ । (४) बिल्कुल । नितांत । जैसे—'हमने वहाँ का आना जाना एकदम बंद कर दिया' । (५) जहाज में यह वाक्य कहकर उस समय चिल्लाते हैं जब बहुत से जहाजियों को एक साथ किसी काम में लगाना होता हैं । एक दिल=(१) खुब मिला जुला । जो मिलकर एक रूप हो गया हो । जैसे,—'सब दवाओं को खरल में घोंटकर दिल कर डालो' । (२) एक ही विचार का । अभिन्नहृदय । एक दीवार रुपया=हजार रुपए । (दलाल) । एक दूसरे, का, षर, में, से=परस्पर । जैसे—(क) 'वे एक दूसरे का बड़ा उपकार मानते हैं' । (ख) 'वहाँ कोई एक दूसरे से बात नहिं कर सकता' । (ग) मित्र एक दूसरे में भेद नहीं मानतें' । (घ) 'वे एक दुसरे पर हाथ रखे जाते थे । एक न चालाना या एक एक नहीं चल पाना=कोई युक्ति सफल न होना । एक न मानना=विरोध में कोई बात न सुनना । एक पास=पास पास । एक ही जगह । परस्पर निकट । उ॰—(क) रची सार दोनों एक पासा । होय जुग जुग आवाहिं कैसासा ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) जलचर वृंद जाल अंतरगत सिमिटि होत एक पासा ।—तुलसी (शब्द॰) । एक पेट के=सहोदर । एक ही माँ से उत्पन्न (शब्द॰) । एक ब एक=अकस्मात् । अचानक । एकबारगी । एक बात=(१) दृढ़ प्रतिज्ञा । जैसे—'मर्द की एक बात' । (२) ठीक बात । सच्ची बात । जैसे—'एक बात कहो' । मोलचाल मत करो ।' । एकमएका होना=एक दिल होना । खूब मिलजुल जाना । उ॰—एकम- एका होन दे बिनसन दै कैलास । धरती अंबर जान दे मो में मेरे दास ।—कबीर सा॰, सं॰, य़भा१, पृ॰ २१ । एक मामला=कई आदमियों में परस्पर इतना हेलमेल कि किसी एक का किया हुआ दूसरों को स्वीकार हो । जैसे—'हमारा उनका तो एक मामला है' । एक मुँह से कहना, बोलना आदि=एकमत होकर कहना । एक स्वर से कहना । जैसे—'सब लोग एक मुँह से यही बात कहते हैं ।' एक मुँह कोहर कहना बोलना इत्यादि=एक मत होकर कहना । एक मुश्त या एक मुटठ=एक साथ । एक बारगी । इकट्ठा (रुपये पैसे के संबंध में) । जैसे—जो कुछ देना हो एकमुश्त दिजिए, थोड़ा थोड़ा करके नहीं ।' एकमेक होना=एकाकार होना । परस्पर मिलाकर एक समान होना । एक लख्त=एकदम । एकबारगी । एक समझना=भेद न मानना । अभिन्न समझना । उ॰— 'बादल और आसमान को यह लोग एक समझते हैं' । सैर॰, भा॰१, पृ॰ १२ । एक सा=समान । बराबर । एक से एक, एक ते एक=एक से एक बढ़कर । जैसे,— 'वहाँ एक से एक महाजन पड़े हैं ।' उ॰—एक ते एक महा रनधीरा । —मानस (शब्द॰) । एक से इक्कीस होना= वढ़ना । उन्नति करना । फलना फूलना । एक स्वर से कहना या बोलना=एकमत होकर कहना । जैसे—'ब लोग स्वर से इसका विरोध कर रहे हैं' । एक होना= (१) मिलना जुलना । मेल करना । जैसे—'ये लड़के अभी लड़ते हैं, फिर एक होंगे ।' (२) तद्रूप होना ।

एक भाग अवस्ता शास्त्र का अनुवाद मात्र है । दूसरे भाग के ग्रंथों में धर्म की व्याख्या और ऐतिहासिक उपाख्यान हैं । शामी शब्दों की अधिकता और विशेषतः उपर्युक्त शैलीभेद के कारण कुछ विद्वान यह मानने लगे हैं कि पहलवी किसी काल में किसी जाति की बोलचाल की भाषा नहीं थी, पारसवालों ने जब शामी (यहूदो अरब) लोगों से लिपिविद्या सीखी और शामी वर्णमाला के द्वारा वे अपनी भाषा लिखने लगे उस समय उन लोगों ने अपनी भाषा के उन सब शब्दों को लिखने का प्रयास नहीं किया जिसके समानार्थक शब्द उन्हें शामी भाषा में मिल सके । ऐसे शब्द उन्होंने शामी के ही ज्यों के त्यों उठाकर अपनी भाषा में धर लिए । पर वे लिखने तो थे शामी शब्द और पढ़ते उस शब्द का सामानार्थक अपनी भाषा का शब्द । जैसे, वे लिखते 'मालिक' जिसका अर्थ शामी में राजा है और पढ़ते थे अपनी भाषा का 'शाह' शब्द । बहुत दिनों तक इस प्रकरा लिखते पढ़ते रहने से जिस विलक्षण संकर भाषा का गठन हुआ वही उक्त विद्वानों की सम्मति में पह्लवी है ।