विशेषण

  1. अनोखा, अनूठा, निराला, अद्वितीय

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अनन्य ^१ वि॰ [सं॰] [स्त्री॰ अनन्या] अन्य से संबंध न रखनेवाला । एकनिष्ठ । एक ही में ही में लीन । जैसे— (क) 'वह ईश्वर का अनन्य उपासक है ।'इसपर अनन्य अधिकार है, (शब्द॰) । (ख) सो अनन्य जाके असि मति न टरइ हनुमंत ।— मानस ४ ।३ । यौ.— अनन्यभत्क= जो किसी एक की ही भक्ति करे । एकनिष्ठ भक्त ।

२. अद्वितीय । जिसके समान दूसरा न हो । जैसे— अंगरेजी के अनन्य महाकवि शेक्सपीयर की कविता ।— प्रेमघन, भा॰ २, पृ॰ २० ।

अनन्य ^२ संज्ञा पुं॰ विष्णु का एक नाम ।