सूरज

संज्ञा

  1. रवि, सूर्य, दिनकर, भास्कर

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

सूरज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सूर्य]

१. सूर्य । विशेष दे॰ 'सूर्य' । उ॰— दरिया सूरज ऊगिया, नैन खुला भरपूर । जिन अंधे देखा नहीं, तिन से साहब दूर ।—दरिया॰ बानी, ३७ । क्रि॰ प्र॰—अस्त होना ।—उगना ।—उदय होना ।—निकलना ।— डूबना ।—छिपना । मुहा॰—सूरज को चिराग दिखाना = दे॰ 'सूरज को दीपक दिखाना' । उ॰—आगे मेरे फरोग पाना, सूरज को है चिराग दिखाना ।—फिसाना, भा॰ ३, पृ॰ ६२४ । सूरज पर थूकना = किसी निर्दोष या साधु व्यक्ति पर लांछन लगाना जिसके कारण स्वयं लांछित होना पड़े । सूरज को दीपक दिखाना = (१) जो स्वयं अत्यंत गुणवान् हो, उसे कुछ बतलाना । (२) जो स्वयं विख्यात हो उसका परिचय देना । सुरज पर धूल फेंकना = किसी निर्दोष या साधु व्यक्ति पर कलंक लगाना ।

२. एक प्रकार का गोदना जो स्त्रियाँ हाथ में गुदाती हैं ।

३. दे॰ 'सूरदास' ।

सूरज ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सूर + ज]

१. शनि ।

२. सुग्रीव । उ॰— (क) सूरज मुसल नील पट्टिस परिघ नल जामवंत असि हनु तोमर प्रहारे हैं । परसा सुखेन कुंत केशरी गवय सूल विभीषण गदा गज भिंदिपाल तारे हैं ।—रामचं॰, पृ॰ १३५ । (ख) करि आदित्य अदृष्ट नष्ट यम करौं अष्टवसु । रुद्रनि वोरि समुद्र करौं गंधर्व सर्व पसु । बलित अबेर कुबेर बलिहिं गहि देहुँ इंद्र अब । विद्याधरनि अविद्य करौं बिन सिद्धि सिद्ध सब । लै करौं अदिति की दासि दिति अनिल अनल मिलि जाहि जल । सुनि सूरज सूरज उगत ही करौं असुर संसार सब ।—केशव (शब्द॰) ।

३. कर्ण का एक नाम ।

४. यमराज ।

सूरज ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शूर + ज (प्रत्य॰)] शूर या वीर का पुत्र । बहादुर का लड़का । उ॰—डारि डारि हथ्यार सूरज जीव लै लै भज्जहीं ।—केशव (शब्द॰) ।