भास्कर
संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
भास्कर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. सुवर्ण । सोना ।
२. सूर्य ।
३. अग्नि । आग ।
४. वीर ।
५. मदार का पेड़ ।
६. महादेव । शिव ।
७. ज्योतिष शास्त्र के आचार्य । इन्होंने सिद्धांतशिरोमणि आदि ज्योतिष के ग्रंथ रचे हैं ।
८. महाराष्ट्र ब्राह्मणों की एक प्रकार की पदवी ।
९. पत्थर पर चित्र और बेल बूटे आदि बनाने की कला । यौ॰— भास्करकर्म=दे॰ 'भास्कर्य' । भास्करद्युति=विष्णु । भास्करप्रिय=लाल । एक रत्न । भास्करलवण=एक प्रकार का नमक या उसका मिश्रण जो एक औषध है । भास्करसप्तमी =माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी ।