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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

शक्ति ^२ वि॰

१. योग्य । काबिल । समर्थ ।

२. शक्तिसंपन्न । ताकतवर ।

३. धनाढ्य । समृद्धियुक्त ।

४. अर्थ का अभिव्यंजक या अर्थद्योतक, जैसे कोई शब्द ।

५. प्रियभाषा । मिष्टभाषा ।

६. चतुर । चालाक । पटु [को॰] ।

शक्ति ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. वह शारीरिक गुण या धर्म जिसके द्वारा अंगों का संचालन तथा दूसरे काम होते हैं । बल । पराक्रम । ताकत । जोर । जैसे—(क) उसमें दो मन बोझ उठान की शक्ति है । (ख) अब तो उनमें उठन बैठन का भी शक्ति नहीं रह गई । (ग) दुर्बलों पर शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए । क्रि॰ प्र॰—देखना ।—रखना ।—लगना ।—लगाना ।

२. किसी प्रकार का बल या ताकत जिससे कोई काम हो । जैसे,— मानसिक शक्ति स्मरण शक्ति, सैनिक शक्ति, शब्द शक्ति ।

३. किसी पदार्थ के संयोजक अगों या द्रव्यों आदि का प्रक ट होनेवाला बल । दूसरे पदार्थों पर प्रभाव डालनेवाला बल । जैसे,—(क) इस औषध में ऐसी शक्ति है कि मृत्यु को भी कुछ देर के लिये रोक देती है । (ख) इस इंजन में बीस घोड़ों की शक्ति है । (ग) पानी के बहाव में बड़ी बड़ी चट्टानों तक को तोड़ने की शक्ति होती है ।

४. वश । अधिकार । जैसे,— इसकी रक्षा करना मेरी शक्ति के बाहर है ।

५. राज्य के वे साधन जिनसे शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जाती है । विशेष—हमारे यहाँ राजाओं की तीन प्रकार की शक्ति कही गई है—प्रभुशक्ति, मंत्रशक्ति, और उत्साहशक्ति । कोश और दंड आदि के संबंध की शक्ति प्रभुशक्ति, संधि, विग्रह आदि के संबंध की शक्ति मंत्रशक्ति और पराक्रम प्रकट करने तथा विजय प्राप्त करने की शक्ति उत्साहशक्ति कहलाती है ।

६. बड़ा और पराक्रमी राज्य जिसमें यथेष्ट धन और सेना आदि हो । जैसे,—इस समय युरोप में इंगलैंड, फ्रांस, जर्मनी, और रूस आदि कई बड़ी बड़ी शक्तियाँ हैं ।

७. न्याय के अनुसार वह संबंध जो किसी पदार्थ और उसका बोध करानेवाले शब्द में होता है । इस शब्द का यह अर्थ बोद्धव्य है— इस प्रकार का अनादि संकेत । जैसे घट शब्द के कहने मात्र से श्रोता को घट शब्द के रूपाकार आदि का ज्ञान हो जाता है ।

८. ईश्वर की वह कल्पित माया जो उसकी आज्ञा से सब काम करनेवाली मानी जाती है । प्रकृति । माया ।

९. किसी देवता का पराक्रम या बल जो कुछ विशिष्ट कार्यों का साधक माना जाता है । जैसे,—रौद्री शक्ति, वैष्णवी शक्ति । विशेष—हमारे यहाँ पुराणों में भिन्न भिन्न देवताओं की अनेक शक्तियों की कल्पना की गई है और ये शक्तियाँ बहुधा देवी के रूप में और मूर्तिमती मानी गई है । जैसे, विष्णु की कीर्ति, कांति, तुष्टि, पुष्टि, शांति, प्रीति आदि शक्तियाँ; रुद्र की गुणोदरी, गोमुखी, दीर्घजिह्वा, ज्वालामुखी, लंबोदरी खेचरी, मजरी आदि शक्तियाँ; देवी की इंद्राणी, वैष्णवी, ब्रह्मणी, कौमारी, नार- सिंही, वाराही, माहेश्वरी और सर्वमंगला आदि शक्तियाँ ।

१०. तंत्र के अनुसार किसी पीठ की अधिष्ठात्री देवी । विशेष—इनकी उपासना करनेवाले शक्ति कहि जाते है । ऐसी शक्ति समस्त सृष्टि की रचना करनेवाली और सब तरह की सामर्थ्य रखनेवाली मानी जाती है ।

११. दुर्गा । भगवती ।

१२. गौरी ।

१३. लक्ष्मी ।

१४. तांत्रिकों की परिभाषा में वह नटी, कापालिकी, वेश्या, धोबिन, नाउन, ब्राह्मणी, शूद्रा, ग्वालिन या मालिन जो युवती, रूपवती और सौभाग्यवती हो । ऐसी स्त्रियों का विधिपूर्वक पूजन सिद्धिप्रद और मोक्षदायक माना जाता है ।

१५. स्त्री की मूत्रेंद्रिय । भग । (तांत्रिक) ।

१६. एक प्रकार का शस्त्र । साँग ।

१७. तलवार ।

१८. क्षमता । योग्यता (को॰) ।

१९. साहित्य में शब्द के अर्थ की बोधक शक्ति । अभिधा, लक्षणा और व्यंजना नाम की शब्दशक्ति (को॰) ।

२०. काव्यादि निर्माण की क्षमता । रचनाशक्ति । कवित्वशक्ति (को॰) ।

२१. द्यूतक्रीड़ा का उपकरण वा यंत्र (को॰) ।

शक्ति ^२ संज्ञा पुं॰ प्राचीन ऋषि का नाम जो पराशर के पिता थे ।