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क्षपणक ^१ वि॰ [सं॰] निर्लज्ज ।
 
क्षपणक ^२ संज्ञा पुं॰ <br><br>१. नंगा रहनेवाला जैन साधु/यती । दिगंबर यती । <br><br>२. बौद्ध संन्यासी या भिक्षु । <br><br>३. एक कवि जो विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक माना जाता है । इसने 'अनेकार्थ— ध्वनिमंजरी' नामक एक कोश बनाया था और उणादि— सूत्र पर एक वृति लिखी थी ।
 
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