संज्ञा

  1. आत्मा, साया

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

रूह संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. आत्मा । जीवात्मा । उ॰—चाम चश्म के नजर न आयै देखु रूह के नैना । चून चिगून वजूद नामजु तैं सुभा नमूना ऐना ।—कबीर (शब्द॰) ।

२. सत्त । सार । जैसे,—रूह गुलाब, रूह केवड़ा, रूह पानड़ी (यह इत्र का एक भेद होता है) । यौ॰—रूह अफजा = प्राणवर्धक । मुहा॰—रूह कब्ज हो जाना, रूह फना होना = भय से स्तब्ध हो जाना ।