हिंदी सम्पादन

व्युत्पत्ति १ सम्पादन

Sauraseni Prakrit 𑀭𑀢𑁆𑀢𑀺 (रत्ति) से, संस्कृत रात्रि से।

संज्ञा सम्पादन

रात (rāt)

  1. वह समय जब बाहर अंधेरा हो जाता है, क्योंकि सूर्य का प्रकाश धरती की इस ओर तक नहीं पहुँच पाता
    पर्यायवाची शब्द: रात्रि (rātri), निशा (niśā), रजनी (rajnī), रैन (rain)
अनुवाद सम्पादन

व्युत्पत्ति २ सम्पादन

Sauraseni Prakrit 𑀭𑀢𑁆𑀢 (रत्त) से, संस्कृत रक्त से।

संज्ञा सम्पादन

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  1. (पुरानी हिंदी) रक्त के रंग का, लाल
    • जायसी ग्रंथावली, पृ॰ ११९
      कँवल चरन आति रात बिसेखे ।
      रहहिं पाट पर पुहुमि न देखे ।
      kãval caran āti rāt bisekhe .
      rahhĩ pāṭ par puhumi na dekhe .
      (please add an English translation of this usage example)

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

रात को खाता है क्योंकि बिना खाए मोटा होना असंभव है । न्याय में यह अनुमान के अंतर्गत और मीमांसा में अर्थापत्ति प्रमाण के अंतर्गत है ।

रात ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ रात्रि] समय का वह भाग जिसमें सूर्य का प्रकाश हम तक नहीं पहुँचता । संध्या से प्रातःकाल तक का समय । दिन का उलटा । पर्या॰—रजनी । निशा । शर्वरी । निशि । विभावरी । मुहा॰—रात दिन= सर्वदा । सदा । हमेशा । यौ॰—रातराजा= उल्लू । रातरानी= एक पौधा और उसका फूल जो रात में फूलता है । रजनीगंधा ।

रात ^२ वि॰ [सं॰] प्रदत्त । दिया हुआ [को॰] ।

रात पु ^३ वि॰ [सं॰ रक्त] लाज । रक्त वर्ण का । उ॰— कँवल चरन आति रात बिसेखे । रहहिं पाट पर पुहुमि न देखे ।— जायसी ग्रं॰ (गुप्त॰), पृ॰ १९९ ।