संज्ञा

  1. बीच का

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

मध्य ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. किसी पदार्थ के बीच का भाग । दरमियानी हिस्सा ।

२. कमर । कटी । उ॰—मध्य छीन औ भूखन सोहै—हिं॰ क॰ का॰, पृ॰ २११ ।

३. संगीत में एक सप्तक जिसके स्वरों का उच्चारण वक्षस्थल से कंठ के अंदर के स्थानों से किया जाता है । यह साधारणतः बीच का सप्तक माना जाता है ।

४. नृत्य में वह गति जो न बहुत तेज हो न बहुत मंद ।

५. दस अरब की संख्या ।

६. विश्राम ।

७. सुश्रुत के अनुसार १६ वर्ष से ७० वर्ष की अवस्था ।

८. अंतर । भेद । फरक ।

९. पश्चिम दिशा ।

मध्य ^२ वि॰

१. उपयुक्त । ठीक । न्याय्य ।

२. अधम । नीच ।

३. मध्यम । बीच का ।

४. मध्पस्थ (को॰) ।

५. अंतर्वर्ती । [को॰] ।

मध्य ^३

१. बीच में । मध्य में ।

२. बीच से । मध्य से [को॰] ।