मदद
संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
==== शब्दसागर fishm5c2
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मदद करना । जैसे,—कोई किसी की विपति में नहीं खडा़ होता । (२) किसी चुनाव में उम्मीदवार होना । खडी़ पछाड़े खाना = क्रोध या शोक से पृथ्वी पर गिर पड़ना । खड़ी लगाना = सिर्फ पाँव के सहारे खड़े तैरना । उ॰—पानी ने बीस कदम पीछे हटा दिया । कभी मल्लाही चीरते थे, कभी खड़ी लगाते थेñ2836994400
।—फिसाना॰, भा॰, ३, पृ॰ १३० । खड़ी free bhejo use number per सवारी = (किसी के आवागमन के सबंध में व्यंग्यार्थ प्रयुक्त) तुरंत । झटपट । शीघ्र । खड़े खड़े = (१) खड़े रहने की दशा में । जैसे,—खड़े खड़े पानी मत पीओ । (२) तुरंत । झटपट । जैसे,—यों खड़े खड़े कोई काम नहीं होता । खड़े घाट = (१) एक दिन के भीतर ही कराई जाने— वाली कपडों की धुलाई । (२) झटपट । तुरंत । ढके पाँव = (१) बीच में बिना रूके या बैठे । (२) झटपट । तुरंत । खड़े बाल निगलना = अत्यंत हानि कर काम करना । अनुचित काम करना । उ॰—खड़े बाल निगलनेवाले हैं ।—चुभते॰, पृ॰ ४ ।
३. ठहरा हुआ । टिका हुआ । रूका हुआ । स्थिर । जैसे,—इस तरह यहाँ दीवार सब तक खड़ी रहेगी ।
४. प्रस्तुत । उप— स्थित । उत्पन्न । तैयार । पैदा । जैसे,—दाम खड़ा करना झगडा़ खड़ा करना, मामला खड़ा करना । जैसे,—(क) उसने अपना दाम खड़ा कर लिया । (ख) उसने बीच में एक नई बात खड़ी कर दी ।
५. संनद्ध । उद्यत । तैयार । जैसे,— (क) जिस काम के लिये आप खड़े होंगे, वह कयों न होगा । (ख) बात समझते नहीं, लड़ने की खड़े हो जातो हो । मुहा॰—खड़ा दोना = मिठाई आदि जो किसी पीर को चढा़ई जाय ।
६. आरंभ । जारी । जैसे,—काम खड़ा करना ।
७. (घर, दीवार आदि ऊँची वस्तुओं के विषय में) स्थपित निर्मित । उठा हुआ । जैसे,—इमारत खड़ी करना, तंबू खड़ा करना । मुहा॰—खड़ा करना = ठाँचा खड़ा करना । स्थूल रूप से आकार आदु बनाना । जैसे,—तुम्हारा कुरता खडा़ कर चुके हैं, सीना बाकी है ।
८. जो उखाडा़ न गया हो । जो काटा न गया हो । जैसे,—खड़ी फसल, खडा़ खेत ।
९. बिना पका । असिद्ध । कच्चा । जैसे,— खडा़ चावल ।
१०. समूचा । पूरा । जैसे,—खडा़ चना चबाना ।
११. जिसमें गति न हो । ठहरा हुआ । स्थिर । जैसे,—खडा़ पानी । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रहना ।—होना ।
मदद संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]
१. सहायता । सहारा । उ॰—पहलवान सो बखाने बली । मदद मीर हजमा औ अली । जायसी (शब्द॰) । यौ॰—मदद खर्च । मददगार । क्रि॰ प्र॰—करना । देना । मुहा॰—मदद पहुँचाना = कुमक पहुँचाना । सहायता मिलना ।
२. मजदूर और राज आदि जो किसी काम के ऊपर लगाए जाते हैं । साथ काम करनेवालों का समूह । क्रि॰ प्र॰—लगना ।—लगाना । मुहा॰ —मदद बाँटना = काम पर लगे मजदूरों की मजदूरी बाँटना वा देना । दैनिक मजदूरी चुकाना ।