विशेषण

संज्ञा

संख्या ५२

अनुवाद

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

बावन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वामन] दे॰ 'वामन' ।

बावन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्विपंचाशत्, पा॰ द्विपण्णासा, प्रा॰ बिवण्णा] पचास और दो की संख्या या उसका सूचक अंक जो इस प्रकार लिखा जाता है—५२ ।

बावन ^३ वि॰ पचास और दो । छब्बीस का दूना । मुहा॰—बावन तोले पाव रत्ती=जो हर तरह से बिलकुल ठीक हो । बिलकुल दुरुस्त । जैसे,—आपकी सभी बातें बावन तोले पाव रत्ती हुआ करती हैं । उ॰—उन विदेशियों के अनुमान और प्रमाण बावन तोले पाव रत्ती सटीक और सच्चे ही हैं ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३७२ । बावन परकार=भोजनार्थ बावन प्रकार की वस्तुएँ । उ॰—पुनि बावन परकार जो आए । ना अस देखे कबहूँ खाए ।— जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ ३१३ । बावन बीर= (१) बहुत अधिक वोर या चतुर । बड़ा बहादुर या चालाक । (२) एक प्रकार के अपदेवता जिनकी संख्या ५२ कही जाती है । पृथ्वीराज रासो के 'आषेटक बीर बरदान' शीर्षक समय में इनके नाम और गुण निरूपित हैं ।