जंजीर
वस्तुवाचक संज्ञा
उदाहरण
- हरिद्वार में गंगा स्नान करते समय सुरक्षा के लिये जंजीर पकड़ना पड़ता है।
- चलती रेलगाड़ी को रुकवाने के लिये जंजीर खींचना पड़ता है।
- खतरनाक पशु को जंजीर से बाँध कर रखा जाता है।
मूल
अन्य अर्थ
- सांकल
- सिकड़ी
- श्रृंखला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
जंजीर संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰ जंजीर] [वि॰ जंजीरी]
१. साँकल । सिकड़ी । कड़ियों की लड़ी । जैसे, लोहे की जंजीर । उ॰— तुम सु छुड़ावहु मंत कहु, बहुरि जरहु जंजीर ।—पु॰ रा॰, ६ ।१६२ । ।
२. बेड़ी । मुहा॰—जंजीर डालना = पैर में बेड़ी डालना । बाँधना । बंदी करना । पैर में जंजीर पड़ना = (१) जंजीर में जकड़ा जाना । बंदी होना । (२) स्वच्छंदता का अपहरण होना । वाथा या विवशता । उ॰—प्रीतम बसंत पहार पर, हम जमुना के तीर । अब तो मिलना कठिन है, पाँव परी जंजीर ।—(शव्द) ।
३. किवाड़ की कुंडी या सिकड़ी । मुहा॰—जंजीर बजाना = कुंडौ खटखटाना । जंबीर लगाना = कुंड़ी बंद करना ।