कड़ा
संज्ञा
विशेषण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
कड़ा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कटक] [स्त्री॰ कड़ी]
१. हाथ या पाँच में पहनने का चूड़ा़ । उ॰—दुसेन्या दरस्सी कड़े काठली सी ।—रा॰ रु॰, पृ॰ ३२ ।
२. लोहे और किसी धातु का चुल्ला या कुंडा । जैसे, कंडाल का कड़ा ।
३. एक प्रकार का कबूतर ।
कड़ा ^२ वि॰ [सं॰ कड्ड] [स्त्री॰ कड़ी]
१. कठोर । कठिन । सख्त । ठोस । जिसकी सतह दबाने से न देब या मुश्किल से देब । जो दबाने से जल्दी न दबे । जिसमें कोई वस्तु जल्दी गड़ न सके अथवा जिसे सहज में तोड़ वा काट न सकें । जो कोमल या मुलायम न हो । मुहा॰—कड़ा लगाना=लदाव की छत बनाना । कड़ी छत या पाटन=लदाव की छत । वह छत जो केवल चूने चौर ईँटों से पीटी गई हो, कड़ी वा शहतीर के आधार पर न हो, जैसे, शिवाले का गुंबद ।
२. जिसकी प्रकृति कोमल न हो । रूखा ।
३. जो नियम में किसी प्रकार का शील संकोच न करे । उग्र । दृढ़ । जैसे, कड़ा हाकिम । जैसे, —जरा कड़े हो जाओं रुपया मिल जाय । मुहा॰—कड़ा पड़ना=दृढ़ता दिखाना । दबंगी से काम लेना । न दबना । जैसे, —कड़ा पड़ने से काम कहीं बनता भी है और कहीं बिगड़ता भी हैं ।
४. कसा हुआ । चुस्त । जैसे, कड़ा जूता, कड़ा बंधन, कड़ी कमान ।
५. जो गीला न हो । कम गीला । जैसे कड़ा आटा ।
६. हृष्ट पुष्ट । तगड़ा । दृढ़ । जैसे, —उनकी अवस्था तो अधिक है, पर वे अभी कड़े हैं ।
७. साधारण से अधिक । जोर का । प्रचंड । तेज । अधिक । जैसे, कड़ा झोंका, कड़ी, धूप, कड़ी भूख, कड़ी प्यास, कड़ी मार कड़ा दाम, कड़ी आवाज, कड़ी चोट ।
८. सहनेवाला । झेलनेवाला । धीर । विचलित न होनेवाला । जैसे, कड़ा जी, कड़ा कलेजा । जैसे—(क) जी कड़ा करके सब सहो । (ख) जी कड़ा करके दबा पी जाओ ।
९. जिसका करना सहज न हो । दुष्कर । दुःसाध्य । मुश्किल । जैसे, कड़ा काम, कड़ा सवाल, कड़ा परचा, कड़ा परिश्रम, कड़ा कोस, कड़ी मंजिल ।
१०. तीव्र प्रभाव डालनेवाला । तेज । जैसे, कड़ी दवा, कडी, महक, कडी शराब ।
११. असह्य । बुरा लगनेवाला । जैसे, कड़ी बात, कड़ा बरताव ।
१२. कठोर । कर्कश । जैसे, कड़ा स्वर । कड़ी बोली ।
कड़ा प्रसाद संज्ञा पुं॰ [हिं॰ कड़ाह+ सं॰ प्रसाद] प्रसाद रूप में सिखों द्वारा बाँटने के लिये कड़ाह में बननेवाला हलुआ ।