होश
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनहोश संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰]
१. बोध या ज्ञान की वृत्ति । संज्ञा । चेतना । चेत । जैसे, वह होश में नहीं है । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । यौ॰—होश व हवास, होशोहवास = चेतना और बुद्धि । सुध बुध । मुहा॰—होश उड़ना या जाता रहना = भय या आशंका से चित्त व्याकुल होना । चित स्तब्ध होना । सुध बुध भूल जाना । तन मन की सँभाल न रहना । जैसे,—बंदूक देखते ही उसके होश उड़ गये । होश करना = सचेत होना । बुद्धि ठीक करना । होश दंग होना = चित्त चकित होना । आश्चर्य से स्तब्ध होना । मन में अत्यंत आश्चर्य उत्पन्न होना । होश पकड़ना = आपे में होना । चेतना प्राप्त करना । होश सँभालना = अवस्था बढ़ने पर सब बातें समझने बूझने लगना । सयाना होना । अनजान बालक न रहना । जैसे, मैंने तो जब से होश सँभाला, तब से इसे ऐसा ही देखता हूँ । होश में आना = चेतना प्राप्त करना । बोध या ज्ञान की वृत्ति फिर लाभ करना । बेसुध न रहना । मूर्छित या संज्ञाशून्य न रहना । होश की दवा करो = बुद्धि ठीक करो । समझ बुझकर बोला । होश ठिकाने होना = (१) बुद्धि ठीक होना । भ्रांति या मोह दूर होना । (२) चित्त स्वस्थ होना । थकावट, घबराहट, डर या व्याकुलता दूर होना । चित्त की अधीरता या व्याकुलता मिटना । (३) अहंकार या गर्व मिटना । दंड पाकर भूल का पछतावा होना । जैसे, वह मार खायगा तब उसके होश ठिकाने होंगे । होश की दवा करना = समझदारी प्राप्त करना । उ॰—अक्ल के नाखून लो । होश की दवा करो ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १३७ । होश फाख्ता हो जाना = होश उड़ जाना । उ॰—पहलवान के होश फाख्ता हो गए । झूठी जूड़ो चौगुनी बढ़ी ।—काले॰, पृ॰ ५६ । होश हवा होना या होश हिरन होना = दे॰ 'होश उड़ना' ।
२. स्मरण । सुध । याद । स्मृति । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । मुहा॰—होश आना = (१) दे॰ 'होश में आना' । (२) स्मरण होना । याद आना । होश दिलाना = सुध कराना । स्मरण कराना । याद दिलाना ।
३. बुद्धि । समझ । अक्ल । यौ॰—होशमंद ।
४. नशे के उतार की अवस्था (को॰) ।