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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

हुण † अव्य॰ [पं॰] अधुना । अब । आज । उ॰—(क) हुण क्या कीजै लाडिले वेखन नहिं पावैँ ।—घनानंद, पृ॰ १८० । (ख) कद्दू वण्या ए मजेदार गोरिए, हुण लाण चटाका कदुए नूँ ।—गुलेरीजी॰, पृ॰ ४२ ।