हीरा

संज्ञा

पु.

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

हीरा ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. लक्ष्मी का एक नाम ।

२. तौलांबुका । तिलचट्टा ।

३. काश्मरी । गंभारी ।

४. पिपीलिका [को॰] ।

हीरा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हीरक]

१. एक रत्न या बहुमूल्य पत्थर जो अपनी चमक और कड़ाई के लिये प्रसिद्ध है । वज्रमणि । हीरक । हीर । विशेष—आधुनिक रसायन शास्त्र के अनुसार हीरा कारबन या कोयले का ही विशेष रूप है जो प्राकृतिक दशा में पाया जाता है । यह संसार के सब पदार्थों से कड़ा है, इसी से कवि कठोरता के उदाहरण के लिये इसका नाम लाया करते हैं जैसा कि तुलसीदास जी ने कहा है—'सिरिस सुमन किमि बेधै हीरा' । यह अधिकतर तो सफेद अर्थात् बिना रंग का होता है, पर पीले, हरे, नीले और कभी कभी काले हीरे भी मिल जाते है । यह रत्न सबसे बहुमूल्य माना जाता है और भिन्न भिन्न रंगों की आभा या छाया देता है । रत्नपरीक्षा की पुस्तकों में हीरे की पाँच छायाएँ कही गई हैं—लाल, पीली, काली, हरी और श्वेत । ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्य और शूद्र वर्ण द्वारा भी इसका भेद किया गया है । श्वेत रंग का विप्र, रवितम रंग का क्षत्रिय, पीतवर्ण का वैश्य और असित अर्थात् नीला, हरा या काले रंग का हीरा शुद्र वर्ण का माना गया है । व्यवहार के लिये हीरा कई रूपों में काटा जाता है जिससे प्रकाश छोड़ने के पहलों के बढ़ जाने से इसकी आभा बढ़ जाती है । इसके पहल काटने में भी बड़ी तारीफ है । बहुत उच्छे हीरे को 'पहले पानी' का हीरा कहते हैं । रत्नपरीक्षा में हीरे के पाँच गुण कहे गए हैं—अठपहल छकोना होना, लघु, उज्वल और नुकीला होना । मुख्य दोष है—मलदोष । यदि बीच में मल (भैल) दिखाई दे तो वह हीरा बहुत ही अशुभ कहा गया है । आजकल होरा दक्षिण अफ्रिका में बहुत पाया जाता है । भारतवर्ष की खानें अब प्रायः खाली हो गई हैं । 'पन्ना' आदि कुछ स्थानों में अब भी थोड़ा बहुत हीरा निकलता है । किसी समय दक्षिण भारत हीरे के लिये प्रसिद्ध था । जगत्प्रसिद्ध 'कोहेनूर' नाम का हीरा गोलकुंडे की खान का कहा जाता है । यौ॰—हीरा आदमी या व्यक्ति = स्वभाव, विचार और व्यवहार आदि की दुष्टि से बहुत ही अच्छा व्यक्ति । हीरा कट = (१) हीरी की तरह कटा हुआ । (२) कई पहलों का कटाव । डायमंड कट । डंबल काट । हीरा कसीस । हीरा दोषी । हीरानखी । हीरामन । मुहा॰—हीरा खाना या हीरे की कनी चाटना = हीरी का चूर खाकर आत्महत्या करना ।

२. बहुत ही अच्छा आदमी । नररत्न । (लाक्षणिक) । जैसे— वह हीरा आदमी था ।

३. बहुत उत्तम वस्तु । बहुत बढ़िया या चोखी चीज । (लाक्षणिक) ।

४. दुंबे भेड़े की एक जाति ।

५. रुद्राक्ष या इसी प्रकार का और कोई एक अकेला मनका जो प्रायः साधु लोग गले में पहनते हैं ।

हीरा कसीस संज्ञा पुं॰ [हिं॰ हीर + सं॰ कसीस] । लोहे का वह विकार जो गंधक और आक्सिजन के रासायनिक योग से होता है और जो देखने में कुछ हरापन लिए मटमैले रंग का होता है । विशेष—लोहे को गंधक के तेजाब में गलाने से हीरा कसीस निकल सकता है, पर इस क्रिया में लागत अधिक पड़ती है । खान के मैले लोहे को हवा और सीड़ में छोड़ देने से भी कसीस निकलता है । हवा और सीड़ के प्रभाव से इससे एक प्रकार का रस निकलता है जिसमें कसीस और गंधक का तेजाब दोनों रहते हैं । इसमें लौहचूर का थोड़ा योग कर देने से सबका हीरा कसीस हो जाता है । इसका व्यवहार स्याही, रंग आदि बनाने में तथा औषध के लिये भी होता है ।

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