हाथ
संज्ञा पुल्लिंग
- शरीर का एक अंग
- लंबाई की एक नाप
- एक अंगुल का २४ गुणा
- एक बित्ता का दुगुना
प्रयोग
संबंधित शब्द
- हाथों - बहुवचन
- हथियाना
- हथेली
- हथियार
- हथौड़ा
- हत्था
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
हाथ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हस्त, प्रा॰ हत्थ, हथ्थ]
१. मनुष्य, बंदर आदि प्राणियों का वह दंडाकार अवयव जिसमें वे वस्तुओं को पकड़ते या छूते हैं । बाहु से लेकर पंजे तक का अंग, विशेषतः कलाई और हथेली या पंजा । कर । हस्त । मुहा॰—हाथ आगे करना = छड़ी या रूल आदि की मार खाने के लिये छोटे छात्रों द्वारा हथेली सामने करना । हाथ आना, हाथ पड़ना, हाथ चढ़ना = दे॰ 'हाथ में आना या पड़ना' । उ॰— नाथ वह जो सनाथ करता है । हाथ आया न हाथ के बूते ।— चोखे॰, पृ॰ ४ । हाथ में आना या पड़ना = अधिकार या वश में आना । कब्जे या काबू में आना । मिलना या इख्तियार में हो जाना । जैसे,—(क) सब वही ले लेगा, तुम्हारे हाथ में कुछ भी न आवेगा । (ख) अब तो वह हमारे हाथ में है, जैसा कहेंगे वैसा करेगा । (किसी को) हाथ उठाना = सलाम करना । प्रणाम करना । (किसी पर) हाथ उठाना = किसी को मारने के लिये थप्पड़ या घूँसा तानना । मारना । जैसे,— बच्चे पर हाथ उठाना अच्छी बात नहीं । उ॰—औरतों पर हाथ उठाते हो ।-सैर कु॰, पृ॰ १४ हाथ उठाकर देना = अपनी खुशी से देना । जैसे,—कभी हाथ उठाकर एक पैसा भी तो नहीं दिया है । हाथ उठाकर कोसना = शाप देना । किसी के अनिष्ट की ईश्वर से प्रार्थना करना । हाथ उतरना = हाथ की हड्डी उखड़ जाना । हाथ ऊँचा रहना = दे॰ 'हाथ ऊँचा होना' । उ॰—हाथ ऊँचा सदा रहा किसका । हित सकल सुख सहज सहेजे में ।—चोखे॰, पृ॰ ११ । हाथ ऊँचा होना = (१) दान देने में प्रवृत्त होना । (२) देने लायक होना । खर्च करने लायक होना । संपन्न होना । हाथ कट जाना = (१) कुछ करने लायक न रह जाना । साधन या सहायक का अभाव हो जाना । (२) प्रतिज्ञा आदि से बद्ध हो जाना । इच्छानुसार कुछ करने के लिये स्वच्छंद न रह जाना । हाथ कटा देना = (१) अपने को कुछ करने योग्य न रखना । साधन या सहायक खोदेना । उ॰—धन किसी का देख काटे होंठ क्यों । हाथ तो हमने कटाया है नहीं ।—चुभते॰, पृ॰ ५२ । (२) अपने को प्रतिज्ञा आदि से बद्ध कर देना । कोई ऐसा काम करना जिससे इच्छानुसार कुछ करने की स्वतंत्रता न रह जाय । बँध जाना । हाथ चलाना = वार करना । प्रहार करना । हाथ का झूठा = अविश्वसनीय । जिसपर एतबार न किया जा सके । धोकेबाज । बेईमान । हाथ का दिया = (१) दिया हुआ । प्रदत्त । जैसे,—तुम्हारे हाथ का दिया हम कुछ भी नहीं जानते । (२) दान दिया हुआ । जैसे,—हाथ का दिया साथ जाता है । हाथ का सच्चा = (१) ईमानदार । (२) अचूक वार । करनेवाला । ऐसा वार करनेवाला जो खाली न जाय । (३) ऐसा सटीक काम करनेवाला जिसमें भूल चूक न हो । हाथ का मैल = हाथ में आता जाता रहनेवाला । साधारण वस्तु । तुच्छ वस्तु । जैसे,—रुपया पैसा हाथ का मैल है । (किसी के) हाथ की चिट्ठी या पुरजा = किसी के हाथ से लिखा हुआ पत्र या पुरजा । हस्तलेख । हाथ की लकीर = (१) हथेली में पड़ी हुई लकीरें । हस्तरेखा जिनसे शुभाशुभ फल कहा जाता है । (२) भाग्य । किस्मत । हाथ के नीचे आना या हाथ तले आना = काबू में आना । वश में होना । ऐसी स्थिति में पड़ना कि जो बात चाहें कराई जा सके । हाथ खाली जाना = (१) बार चूकना । प्रहार न बैठना । (२) युक्ति सफल न होगा । चाल चूक जाना । हाथ खाली होना = पास में कुछ द्रव्य न रह जाना । रुपया पैसा न रहना । हाथ खाली न होना = काम में फँसा रहना । फुरसत न होना । हाथ खुजलाना = (१) किसी को मारने का जी करना । किसी को थप्पड़ लगाने की इच्छा होना । (२) मिलने का आगम होना । द्रव्यप्राप्ति के लक्षण दिखाई पड़ना (ऐसा विश्वास है कि जब हथेली में खुजलाहट होती है तब कुछ मिलता है) । हाथ खींचना = (१) किसी काम से अलग हो जाना । योग म देना । (२) खर्च बंद कर देना । देना बंद कर देना । हाथ खींच लेना = दे॰ 'हाथ खींचना' । उ॰—चाहिये इस तरह न खिँच जाना । किस लिये हाथ खींच लेते हैं ।—चुभते॰, पृ॰ २८ । हाथ खुलना = (१) दानमें प्रवृत्ति होना । (२) खर्च करना । (३) रोक या प्रतिबंध का खत्म होना । हाथ गरम होना = दे॰ 'मुट्ठी गरम होना' । हाथ घसना = दे॰ 'हाथ मलना' । उ॰—हाथ घसै निरधन हुवाँ, माँखी ज्यों जग माँहिं ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भाग ३, पृ॰ ८२ । हाथ चलना = (१) किसी काम में हाथ का हिलना डोलना । जैसे,—अभ्यास न होने से उसका हाथ जल्दी जल्दी नहीं चलता । (२) किसी काम को करने का गुर समझ में आ जाना । किसी काम को करने का अभ्यास होना । (३) मारने के लिये हाथ उठना । थप्पड़ या घूँसा तानना । जैसे,— तुम्हारा हाथ बड़ी जल्दी चल जाता है । हाथ चलाना = (१) किसी काम में हाथ हिलाना डुलाना । (२) मारने के लिये थप्पड़ तानना । मारना । (३) किसी वस्तु को छूने या लेने के लिये हाथ बढ़ाना । जैसे,—छाती पर हाथ चलाना । हाथ चूमना या हाथ आँखों से लगाना = (१) किसी की कलानिपुणता पर मुग्ध होकर उसके हाथों को प्यार करना । किसी की कारीगरी पर इतना खुश होना कि उसके हाथों को प्रेम की दृष्टि से देखना । जैसे,—(क) इस चित्र को देखकर जी चाहता है कि चित्रकार के हाथ चूम लूँ । (ख) यह काम कर डालो तो हाथ चूम लूँ । (२) स्त्रियों का, विशेषकर बड़ी बूढ़ी स्त्रियों का बच्चों के हाथ चूमकर स्नेह व्यक्त करना । हाथ चालाक या हाथचला = (१) फुरती से दूसरे की चीज उड़ा लेनेवाला । दूसरे की वस्तु लेने में हाथ की सफाई दिखानेवाला । (२) किसी काम में हाथ की सफाई दिखानेवाला । हस्तलाघव दिखानेवाला । हाथ चालाकी = हाथ की सफाई या फुरती । हस्तकौशल । हस्तलाघव या क्षिप्रता ।
हाथ चाटना = सामने रखा भोजन कुछ भी न छोड़ना, सब खा जाना । सब खाकर भी न तृप्त होना । हाथ छूटना = मारने के लिये हाथ उठना । (किसी पर) हाथ छोड़ना = मारना । प्रहार करना । हाथ जड़ना = थप्पड़ मारना । प्रहार करना । हाथ जोड़ना = (१) प्रणाम करना । नमस्कार करना । (२) अनुनय विनय करना । (३) प्रार्थना करना । (दूर से) हाथ जोड़ना = संसर्ग या संबंध न रखना । किनारे रहना । पीछा छुड़ाना । जैसे,—ऐसे आदमियों को हम दूर ही से हाथ जोड़ते हैं । हाथ जूठा होना = हाथ में खाने पीने की चीज लगी रहना या हाथ का मुँह में पड़ जाना (ऐसा हाथ अशुद्ध माना जाता है) । (किसी काम में) हाथ जमना = दे॰ 'हाथ बैठना' । हाथ झाड़ना = (१) लड़ाई में खूब शस्त्र चलाना । खूब हथियार चलाना । (२) वार करना । प्रहार करना । खूब मारना । हाथ झुलाते या हिलाते आना = कुछ भी न लेकर आना । खाली हाथ लौटना । हाथ झाड़ देना = खाली हाथ हो जाना । कह देना कि मेरे पास कुछ नहीं है । हाथ झाड़कर खड़े हो जाना = खाली हाथ दिखा देना । कह देना कि मेरे पास कुछ नहीं है । जैसे,—तुम्हारा क्या ? तुम तो हाथ झाड़कर खड़े हो जाओगे, सारा खर्च हामारे ऊपर पड़ेगा । हाथ झाड़ना = अपने पास कुछ भी न रह जाना । खाली हाथ हो जाना । उ॰—कहैं कबीर अंत की बारी, हाथ झाड़ ज्यों चला जुवारी ।—कबीर श॰, भा॰ १, पृ॰ २९ । हाथ झुलाते आना = खाली हाथ आना । कुछ भी लेकर न आना । उ॰—कोई खत वत लाए हो या यों ही आए हो हाथ झुलाते ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १८२ । हाथ टूटना = (१) सामर्थ्य न रहना । काम करने की हाथ में ताकत न रहना । उ॰—क्या हुआ जो कुछ हमें टोटा हुआ । है हमारा हाथ तो टूटा नहीं ।—चुभते॰, पृ॰ ५२ । (३) अत्यंत घने प्रिय बंधु या सहयोगी का न रह जाना । दे॰ 'बाँह टूटना' । हाथ टेकना = साहारा देना । हाथ डालना = (१) किसी काम में हाथ लगाना । योग देना । (२) दखल देना । (३) बुरी भावना से किसी स्त्री को हाथ लगाना । (४) लूटना । माल मारना । हाथ तकना = दूसरे के देने के आसरे रहना । दूसरे के आश्रित रहता । हाथ तंग होना = खर्च करने के लिये रुपया पैसा का न रहना । हाथ थिरकाना या नचाना = नाचने या बोलने में हाथ मटकाना हिलाना । हाथ दिलाना = नजर झड़वाना । भूत प्रेत की बाधा शांत करने के लिये सयाने को दिखाना । हाथ दिखाना = (१) भविष्य शुभाशुभ जानने के लिये सामुद्रिक जाननेवाले से हाथ की रेखाओं का विचार कराना । (२) वैद्य को नाड़ी दिखाना । (३) हस्तकौशल दिखाना । हाथ की कारीगरी प्रदर्शित करना । (४) युद्ध में शत्रुओं पर जमकर शस्त्र चलाना । समर भूमि में युद्धकौशल का प्रदर्शन करना । उ॰—हजाराँ रसाला वाढे अषाडै दिखाया हाथ । न बीरी कसमाँ काढे बखाणै नबाब ।— बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰
३. पृ॰ १२७ । हाथ देखना = (१) वैद्य का रोगी की नाड़ी देखकर रोग की स्थिति जानना । नाड़ी देखना । (२) सामुद्रिक का विचार करना । हथेली की रेखाओं से शुभाशुभ भविष्य का विचार करना । हाथ देते ही पहुँचा पकड़ना = थोड़ी सी सुविधा मिलते ही अधिक सुविधा प्राप्त करने का प्रयत्न करना । उ॰—इसके मानी क्या ! हाथ देते ही पहुँचा पकड़ लिया । फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २८३ । हाथ देना = (१) सहारा देना । (२) बाजी लगाना । (३) गुप्त रूप से सौदा तै करना । (४) दीया बुझाना । (५) भूत प्रेत की बाधा का विचार करना । (६) रोकना । मना करना । (किसी का) हाथ धरना = (१) कोई काम करने से रोकना । जैसे,—जिसको जो चाहें दें, कोई हाथ धर सकता है । (२) किसी को सहारा देना । अपनी रक्षा में लेना । (३) पाणिग्रहण करना । विवाह करना । (किसी पर) हाथ धरना = किसी को आशीर्वाद देना । (किसी वस्तु या बात से) हाथ धोना = (१) खो देना । प्राप्ति की संभावना न रखना । नष्ट करना । जैसे,—(क) जान से हाथ धोना । (ख) मकान से हाथ धोना । (२) समझ न होना । बिना बुद्धि के या बिना बिचारे काम करना । उ— अक्ल को तो हुस्न आरा रो चुकी अक्ल से कब की हाथ धो चुकी ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३२० । हाथ धोकर पीछे पड़ना = (१) किसी काम में जी जान से लग जाना । सब कुछ छोड़कर काम में प्रवृत्त हो जाना । (२) किसी को हानि पहुँचाने में सब काम धंधा छोड़कर लग जाना । जैसे,—न जाने क्यों वह आजकल हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ा है । उ॰—धो न बैठेंगे हितों से हाथ हम । हाथ धोकर क्यों न वे पीछे पड़ें ।—चुभते॰, पृ॰ १४ । हाथ धो बैठना = किसी काम से, किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति से निराश हो बैठना । हाथ न रखने देना या पुट्ठे पर हाथ न धरने देना = (१) बहुत तेजी दिखाना । हाथ रखते ही उछलने कूदने या दौड़ने लगना (घोड़े के लिये प्रयुक्त) । (२) जरा भी बातों में न आना । थोड़ी सी बात भी मानने के लिये तैयार न होना । दृढ़ रहना । जैसे,—उसे कैसे राजी करें, हाथ तो रखने ही नहीं देता । हाथ पकड़ना = (१) किसी काम से रोकना । (२) सहारा देना । संबल देना । उ॰—है गई अब बुरी पकड़ पकड़ी । आप आ हाथ लें पकड़ मेरा ।—चुभते॰, पृ॰ ४ । (३) आश्रय देना । शरण में लेना । रक्षक होना । (४) पाणिग्रहण करना । विवाह करना । हाथ पड़ना = (१) हाथ लगना । किसी व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ से हाथ का स्पर्श होना । हाथ छू जाना । (२) मार पड़ना । मार खा जाना । (३) न चाहते हुए भी किसी का साथ हो जाना । (४) छापा पड़ना । डाका पड़ना । लूट होना । जैसे,—आज बाजार में हाथ पड़ गया । हाथ पत्वर तले दबना = (१) मुश्किल में फँसना । संकट या कठिनता की स्थिति में पड़ना । (२) कुछ कर धर न सकना । कुछ करने की शक्ति या अवकाश न रहना । (३) लाचार होना । विवश होना । (४) किसी चलते हूए काम को बंद करने के लिये विवश होना । हाथ पर गंगाजली रखना = (१) गंगा की शपथ देना । कसम खिलाना । (२) गंगा की शपथ खाना । कसम खाना । हाथ पर नाग खेलाना = अपनी जान जोखों में डालना । प्राण संकट में डालना । हाथ पर जीव लेना = दे॰ 'हथेली पर सिर रखना या लेना' । यह जानते हु ए भी कि इस काम में मौत निश्चित है, उसे करने के लिये उद्यत होना । उ॰—अस लागेहु केहि के सिख दीन्हें । आएहु मरै हाथि जिउ लीन्हें । —जायसी ग्रं॰, पृ॰ २६७ । हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना=खाली बैठे रहना । कुछ काम धंधा न करना । हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना=निराश हो जाना । हाथ पर हाथ मारना=(१) प्रतिज्ञा करना । किसी बात को दृढ़ करना । किसी बात को पक्का करना । (२) बाजी लगाना । उ॰—आओ हाथ पर हाथ मारो । —फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १११ । हाथ पसारना या फैलाना=कुछ माँगना । याचना करना । (किसी के आगे) हाथ पसारना या फैलाना=(किसी से) कुछ माँगना । याचना करना । जैसे,—हम गरीब हैं तो किसी के आगे हाथ फैलाने तो नहीं जाते । उ॰—परम उदार, चतुर चिंतामनि, कोटि कुबेर निधन कौं । राखत है जन की परतिज्ञा, हाथ पसारत कन कौं ।—सूर॰, १ । ९ । हाथ पसारे जाना=इस संसार से खाली हाथ जाना । परलोक में कुछ साथ न ले जाना । हाथ पाँव चलना=काम धंधे के लिये सामर्थ्य होना । कार्य करने की योग्यता होना । जैसे,—इतने बड़े हुए, तुम्हारे हाथ पाँव नहीं चलते हैं । हाथ पाँव चलाना=काम धंधा करना । हाथ टूटना=(१) अंग भंग होना । (२) शरीर में पीड़ा होना । उ॰— कल से चंडू नसीब नहीं हुआ । जम्हाई पर जम्हाई आती है और हाथ पाँव टूटे जाते हैं । —फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ६३ । हाथ पाँव ठंडे होना=(१) शरीर में गरमी न रह जाना । मरणासन्न होना । (२) भय या आशंका से स्तब्ध हो जाना । ठक हो जाना । हाथ पाँव डाल देना=कुछ न करना । निष्क्रिय या निकम्मा बन जाना । उ॰—डाल दो हाथ पाँव मत अपने । आँख में आँख डालकर देखो । —चोखे॰, पृ॰ १९ । हाथ पाँव तोड़ना=(१) अंग भंग करना । (२) हाथ पाँव थर्राना । डर के मारे कँपकँपी होना । हाथ पाँव निकालना=(१) शरीर हृष्ट- पुष्ट होना । मोटा ताजा होना । (२) सीमा का अतिक्रमण करना । हद से गुजरना । (३) नटखटी करना । शरारत करना । (४) छेड़छाड़ करना । हाथ पाँव फूलना=(१) भय से स्तब्ध होना । डर या शोक से घबरा जाना । (२) व्यय के आधिक्य को देखकर घबड़ा उठना । उ॰—ठाकुर साहब फर्स्ट क्लास जेंटुल- मैन के नाम एक महीने में इस कदर बिल आए कि हाथ पाँव फूल गए । —फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १५७ । हाथ पाँव फेकना=हाथ पाँव की मिहनत करना । उ॰—लाभ हैं ले रहे लड़कपन का, हाथ औ पाँव फेंकते लड़के । —चोखे॰, पृ॰ १३ । हाथ पाँव बचाना=अपने शरीर की रक्षा करना । जैसे,— हाथ पाँव बचाकर काम करना । हाथ पाँव पटकना= छटपटाना । हाथ पाँव मारना या हिलाना=(१) तैरने में हाथ पैर चलाना । (२) शोक, दुःख या पीड़ा से छट- पटाना । तड़पना । (३) घोर प्रयत्न करना । बहुत कोशिश करना । जैसे,—उसने बहुत हाथ पाँव मारे पर उसे ले न सका । उ॰ —छह रोज तक उन्होने हाथ पाँव मारे । सातवें रोज दो चोरों की फाँसा ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २३६ । (४) बहुत परिश्रम करना । खूब मिहनत करना । हाथ पाँव से छूटना= अच्छी तरह बच्चा पैदा होना । सहज में कुशलपूर्वक प्रसव होना । (स्त्रि॰) । हाथ पाँव हारना=(१) साहस छोड़ना । हिम्मत हारना । (२) निराश होना । हताश होना । हाथ पीले पड़ना= (१) किसी प्रकार विवाह कर देना । (२) विवाह करना (हिंदुओं में विवाह के समय शरीर में हल्दी लगाने की रीति है) । हाथ पैर जोड़ना=बहुत विनती करना । अनुनय विनय करना । हाथ फेंकना=(१) हाथ चलाना । (२) वार करना । हथियार चलाना । (किसी पर) हाथ फेरना=प्यार से शरीर सहलाना । प्यार करना । (किसी वस्तु पर) हाथ फेरना=किसी वस्तु को उड़ा लेना । ले लेना । हाथ बंद होना=दे॰'हाथ तंग होना' । हाथ बढ़ाना=(१) कोई वस्तु लेने के लिये हाथ फैलाना । (२) हद से बाहर जाना । सीमा का अतिक्रमण करना । (३) सहयोग देना । सहायता करना । (किसी काम में) हाथ बँटाना या बटाना=शामिल होना । शरीक होना । योग देना । उ॰—बेर न बीर लगाओ, बढ़ाकर हाथ बटाओ । —अर्चना, पृ॰ २९ । हाथ बाँधकर खड़ा होना=(१) हाथ जोड़कर खडा होना । (२) सेवा में उपस्थित रहना । हाथ बाँधे खड़ा रहना=सेवा में बराबर उपस्थित रहना । खिदमत में हाजिर रहना । उ॰—जब किसी का पाँव हैं हम चूमते । हाथ बाँधे सामने जब हैं खड़े । — चोखे॰, पृ॰ ३५ । (किसी के) हाथ बिकना=किसी को मोल दिया जाना । (किसी व्यक्ति का) किसी के हाथ बिकना=(१) किसी का क्रीत दास होना । किसी का खरीदा गुलाम होना । (२) किसी के बिल्कुल अधीन होना । उ॰—ऊधो नहीं हम जानत ही मनमोहन कूबरी हाथ बिकैहैं ।—मति॰ ग्रं॰, पृ॰ ४०४ । (किसी काम में) हाथ बैठना या जमना=अभ्यास होना । मश्क होना । ऐसा अभ्यास होना कि हाथ बराबर ठीक चला करे । उ॰—काम की यह बात है, हर काम में । बैठता है हाथ बैठाते रहे । —चोखे॰, पृ॰ २१ । (किसी पर) हाथ बैठना या जमना=किसी पर ठीक और भरपूर थप्पड़ या वार पड़ना । काम करते करते हाथ थक जाना । हाथ भरना=हाथ में रंग या महावर लगाना । हाथ मँजना=अभ्यास होना । मश्क होना । हाथ माँजना=अभ्यास करना । हाथ मलना= (१) भूल चूक का बुरा परिणाम होने पर अत्यंत पश्चात्ताप करना । बहुत पछताना । (२) निराश और दुःखी होना । उ॰— तो लगेगी हाथ मलने आबरू । हाथ गरदन पर अगर डाला गया । —चोखे॰, पृ॰ १९ । हाथ मारना=(१) बात पक्की करना । दृढ़ प्रतिज्ञा करना । (२) बाजी लगाना । (किसी वस्तु पर) हाथ मारना=उड़ा लेना । गायब कर लेना । बेईमानी से ले लेना । (भोजन पर) हाथ मारना=(१) खुब खाना । (२) बड़े बड़े कौर मुँह में डालना । हाथ मारकर भागना=दौड़ने और पकड़ने का खेल खेलाना । हाथ मिलाना=(१) भेंट होने पर प्रेमपूर्वक एक दूसरे का हाथ पकड़ना । (२) लड़ना । पंजा लड़ाना । (३) सौदा पटाकर लेना । हाथ मींजना=अपना कोई वश न चलने पर अत्यंत निराश होना ।दे॰'हाथ मलना' । उ॰—रोव त समुझि कुमातुकृत मींजि हाथ धुनि माथ । ——तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ७४ । हाथ में करना=(१) वश में करना । काबू में करना । (२) अधिकार में करना । ले लेना । प्राप्त करना । (मन) हाथ में करना=मोहित करना । लुभाना । प्रेम में फँसाना । हाथ में ठीकरा लेना=भिक्षावृत्ति का अवलंबन करना । भीख माँगना । मँगता हो जाना । हाथ में पड़ना=(१) अधिकार में आना । (२)वश में होना । काबू में आना । हाथ में लाना=दे॰'हाथ में करना' । हाथ में लेना=(१) करने का भार ऊपर लेना । जिम्मे लेना । (२) अपने अधिकार में करना । स्वायत्त करना । हाथ में हाथ देना=पाणिग्रहण कराना । (कन्या को) ब्याह देना । हाथ में होना=(१) अधिकार में होना । पास में होना । (२) वश में होना । अधीन होना । उ॰—हानि लाभ जीवन मरन जस अपजस बिधि हाथ ।—तुलसी (शब्द॰) । हाथ में गुन या हुनर होना=किसी काल में निपुणता होना । हाथ रँगना=(१) हाथ में मेहँदी लगाना । (२) किसी बुरे काम में पड़कर अपने को कलंकित करना । कलंक माथे पर लेना । (३) रिशवत लेना । घूस लेना । (किसी पर) हाथ रखना=(१) मदद देना । सहायक होना । सक्रिय सहयोग देना । उ॰—इस वास्ते तुमसे अरज करि जोर कीजति है वली । अब हाथ उसपर रक्खियै तो जंग लेहि फतेअली । —सुजान॰, पृ॰ १० । (किसी का) हाथ रोकना=कोई काम न करने देना । कुछ करते समय हाथ थाम लेना । कुछ करने से मना करना । (अपना) हाथ रोकना=(१) किसी काम का करना बंद कर देना । किसी काम से अलग हो जाना । विरत हो जाना । (२) मारने के लिये हाथ उठाकर रह जाना । (३) खर्च करते समय आगा पीछा सोचना । सँभालकर खर्च करना । जैसे,— आमदनी घट गई है तो हाथ रोककर खर्च किया करो । हाथ रोपना या ओड़ना=हाथ फैलाना । माँगना । (कोई वस्तु) हाथ लगना=(१) हाथ में आना । मिलना । प्राप्त होना । जैसे,—तुम्हारे हाथ तो कुछ भी न लगा । (२) गणित करते समय वह संख्या जो अंतिम संख्या ले लेने पर बच रहती है । जैसे,—१२ के २ रखे, हाथ लगा १ । (किसी काम में) हाथ लगना=(१) आरंभ होना । शुरू किया जाना । जैसे,—जब काम में हाथ लग गया तब हुआ समझो । (२) किसी के द्बारा किया जाना । किसी का लगाव होना । जैसे,—जिस काम में तुम्हारा हाथ लगता है, वह चौपट हो जाता है । (किसी वस्तु में) हाथ लगना=छू जाना । स्पर्श होना । (किसी काम में) हाथ लगाना=(१) आरंभ करना । शुरू करना । (२) करने में प्रवृत्त होना । योग देना । जैसे,—जिस काम में तुम हाथ लगाओगे वह क्यों न अच्छा होगा । (किसी वस्तु में) हाथ लगाना=छूना । स्पर्श करना । हाथ लगे मैला होना=इतना स्वच्छ और पवित्र होना कि हाथ से छूने से मलिनता आ जाना या मैला होना । हाथ साधना=(१) यह देखने के लिये कोई काम करना कि उसे आगे अच्छी तरह कर सकते हैं या नहीं । (२) अभ्यास करना । मश्क करना । (३) दे॰ 'हाथ साफ करना' । (किसी पर) हाथ साफ करना=किसी को मारना । (किसी वस्तु पर) हाथ साफ करना=बेईमानी से ले लेना । अन्याय से हरण करना । उड़ा लेना । (भोजन पर) हाथ साफ करना= खूब खाना । (किसी के सिर पर) हाथ रखना=किसी की रक्षा का भार ग्रहण करना । शरण या आश्रय में लेना । मुरब्बी होना । (अपने या किसी के सिर पर) हाथ रखना= सिर की कसम खाना । शपथ उठाना । हाथ से=द्बारा । मारफत जैसे,—(क) तुम्हारे हाथ से यह काम हो जाता तो अच्छा था । (ख) तुमने किसके हाथ से रुपया पाया ? हाथ से जाना या निकल जाना=(१) अपने अधिकार में न रहना । कब्जे में न रह जाना । (२) अवसर या मौका न रह जाना । उ॰—न जाने तड़के तड़के किस मनहूस का मुँह देखा है कि भर दिन के मजे हाथ से गए । —फिसाना॰, भा॰ १, पृ॰ ७ । (३) वश में न रह जाना । काबू में न रह जाना । जैसे,—चीज हाथ से निकल जाना, अवसर हाथ से जाना । हाथ से हाथ मिलाना=दान देना । खैरात करना । अपने हाथ से दूसरे के हाथ पर कुछ रखना । जैसे,—आज एकादशी है, कुछ हाथ से हाथ मिलाओ । हाथ हिलाते आना=(१) खाली हाथ लौटना । कुछ लेकर या प्राप्त करके न आना । (२) बिना कार्य सिद्ध हुए लौट आना । हाथों के तोते उड़ जाना=(१) हाथ में आई हुई वस्तु का निकल जाना या बेहाथ होना । (२) होश हवाश गायब हो जाना । घबड़ा जाना । उ॰—उन्होंने काँपते हुए जवाब दिया कि क्या बताऊँ, हाथों के तोते उड़ गए । — फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २९१ । हाथों में चाँद आना=(१) पु्त्र उत्पन्न होना । लड़का पैदा होना । (स्त्रियाँ) । (२) मनचाही वस्तु मिलना । इच्छित वस्तु की प्राप्ति होना । हाथों में पिसान लगाकर भंडारी बनना=(१) गृह कार्य या समारोह आदि में कुछ काम न करते हुए भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी का कार्य करने या कार्य की सफलता का श्रेय लेने का ढोंग रचना । (२) झूठा ढोंग रचना । नकली वेश बनाना । उ॰—अनेक जन व्यर्थ भी हाथों में पिसान लगाकर भंडारी बनने पर तत्पर हो जाते ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ४५१ । हाथों में रखना=बड़े लाड़ प्यार या आदर संमान से रखना । हाथों हाथ=एक के हाथ से दूसरे के हाथ में होते हुए । जैसे,—चीज हाथों हाथ वहाँ पहुँच गई । हाथों हाथ बिक जाना या उड जाना=खूब बिक्री होना । बड़ी गहरी माँग होना । जैसे,—ऐसी उपयोगी पुस्तक हाथों हाथ बिक जायगी । हाथों हाथ लेना=बड़े आदर और संमान से स्वागत करना । (किसी के) हाथ बेचना=किसी को मूल्य लेकर देना । (किसी के) हाथ भेजना=किसी के हाथ में देकर भेजना । किसी के द्बारा प्रेषित करना । (किसी के) हाथों= किसी के द्बारा ।
२. लंबाई की एक माप जो मनुष्य की कुहनी से लेकर पंजे के छोर तक की मानी जाती है । चौबीस अंगुल का मान । जैसे —दस हाथ की धोती । बीस हाथ जमीन । मुहा॰—हाथो कलेजा उछलना=(१) बहुत जी धड़कना । (२) आनंद- मग्न होना । बहुत खुशी होना । हाथ भर कलेजा होना=(१) बहु त खुशी होना । आनंद से फूलना । (२) उत्साह होना । साहस बँधना ।
३. युद्ध, लड़ाई आदि में आक्रमण करने का ढंग । वार करने की कला ।
४. ताश, जुए आदि के खेल में एक एक आदमी के खेलने की बारी । दावँ । जैसे,—अभी चार ही हाथ तो हमने खेला है । मुहा॰—उलटकर या उलटा हाथ मारना=शत्रु के वार को रोकते हुए उसपर आघात करना । प्रत्याक्रमण करना । हाथ मारना=(१) कुशलतापूर्वक शत्रु पर वार करना । (२) दावँ जीतना । हाथ बनाना=दे॰ 'हाथ मारना' ।
४. किसी कार्यालय के कार्यकर्ता । कारखाने में काम करनेवाले आदमी । जैसे,—आजकल हाथ कम हो गए हैं; इसी से देर हो रही है ।
५. किसी औजार या हथियार का वह भाग जो हाथ से पकड़ा जाय । दस्ता । मुठिया ।