हलाहल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनहलाहल संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह प्रचंड विष जो समुद्रमंथन के समय निकला था । विशेष—इस विष की तीव्र उष्मा या ज्वाला के प्रभाव से सारे देवता और असुर व्याकुल हो गए थे । अंत में शिव जी ने देवा- सुर की प्रार्थना पर इसे अपने कंठ में धारण किया था । इसी से उनका नाम नीलकंठ पड़ा ।
२. महाविष । भारी जहर । उ॰—धिक तो कहँ जो अजहूँ तु जियै । खल, जाय हलाहल क्यों न पियै ?—केशव (शब्द॰) ।
३. एक जहरीला पौधा । विशेष—भावप्रकाश के अनुसार इस पौधे के पत्ते ताड़ के से, कुछ नीलापन लिए तथा फल गाय के थन के आकार के सफेद लिखे गए हैं । इसका कंद या जड़ की गाँठें भी गाय के थन के आकार की कही गई हैं । लिखा है कि इसके आसपास घास या पेड़ पौधे नहीं उगते और मनुष्य केवल इसकी महक से मर जाता है ।
४. एक प्रकार का सर्प । ब्रह्मसर्प (को॰) ।
५. अंजना नाम की एक प्रकार की छिपकली (को॰) ।
६. एक बुद्ध (को॰) ।