संज्ञा

शरीर का एक अंग

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

हथेली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ हस्ततल, प्रा॰ हत्थतल, हत्थल, हथ्थल]

१. हाथ की कलाई का चौड़ा सिरा जिसमें उँगलियाँ लगी होती हैं । हाथ की गद्दी । हस्ततल । करतल । मुहा॰—हथेली में आना = (१) हाथ में आना । अधिकार में आना । मिलना । प्राप्त होना । (२) वश में होना । हथेली में करना = अपने अधिकार में करना । ले लेना । हथेली खुज- लाना = द्रव्य मिलने का आगम सूचित होना । कुछ मिलने का शकुन होना । विशेष—यह एक प्रचलित प्रवाद है कि जब दाहिने हाथ की हथेली खुजलाती है, तब कुछ मिलता है । हथेली का फफोला = अत्यंत सुकुमार वस्तु । बहुत नाजुक चीज जिसके टूटने फूटने का सदा डर रहे । हथेली देना या लगाना = हाथ का सहारा देना । सहायता करना । मदद करके सँभालना । हथेली पीटना या बजाना = ताली पीटना । किसकी हथेली में बाल जमे हैं ? = कौन ऐसा संसार में है ? जैसे,—किसकी हथेली में बाल जमे हैं जो उसे मार सकता है । हथेली सा = बिल्कुल चौरस या सपाट । समतल । हथेली पर जान रखना या लेना = प्राणत्याग का भय न रखना । जान देने के लिये हरदम, हर हालत में तैयार रहना । हथेली पर जान होना = ऐसी स्थिति में पड़ना जिसमें प्राण जाने का भय हो । जान जोखों होना । हथेली पर दही जमाना = किसी काम के लिये बहुत जल्दबाजी करना । किसी से कोई काम कराने के लिये अत्यंत शीघ्रता करना । हथेली पर सर रखना या लेना = दे॰ 'हथेली पर जान रखना' । हथेली पर सरसों उगाना या जमाना = असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाना । किसी कठिन काम को अत्यंत शीघ्रता से कर दिखाना ।

२. चरखे की मुठिया जिसे पकड़कर चरखा चलाते हैं ।