हठरी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ हाट + री (स्वा॰ प्रत्य॰)] हाट । बाजार । उ॰—तुव महलनकी सुरति करन हित हठरी रुचिर बनाई, तुव मुख चंद्र प्रकाश लख न हित दीपावली सुहाई ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ८६ ।