हजूरा पु अव्य॰ [अ॰ हुजूर] हुजूर में । समीप या पार्श्व में । उ॰— (क) चौवा चंदन कर्पूरा । कस्तुरी अग्र हजूरा ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १२८ । (ख) भक्त होय सतगुर का पूरा । रहै पुरुष के नित्त हजुरा—कबीर सा॰, पृ॰ ८२० ।