प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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स्रवन पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्रवण] सं॰ 'श्रवण' । उ॰—(क) रामचरित- मानस एहि नामा । सुनत स्रवन पाइय बिस्रामा । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) स्रवन नाहिं, पै सब किछु सुना । हिया नागिं पै सब किछु गुना । —जायसी (शब्द॰) ।