प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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स्फोट संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अंदर भरे हुए किसी पदार्थ का अपने ऊपरी आवरण को तोड़ या भेदकर बाहर निकलना । फूटना । जैसे,—ज्वालामुखी का स्फोट ।

२. शरीर में होनेवाला फौड़ा, फुंसी आदि ।

३. मोती । मुक्ता ।

४. सर्वदर्शनसंग्रह (पाणिनीय दर्शन) के अनुसार नित्य शब्द जिससे वर्णात्मक शब्दों के अर्थ का ज्ञान होता है । जैसे, कमल शब्द में क, म और ल ये तीन वर्ण हैं; और इन तीनों के अलग अलग उच्चारण से कुछ भी अभिप्राय नहीं निकलता । परंतु तीनों वर्णीं का साथ साथ उच्चारण करने पर जो स्फोट होता है, उसी से कमल शब्द का अभिप्राय जाना जाता है । कुछ लोग इसी स्फोट (नित्य शब्द) को संसार का कारण मानते हैं ।

५. मीमांसकों द्वारा मान्य नित्य शब्द । आभ्यंतर ध्वनि (को॰) ।

६. फूट पड़ना या खुलना । व्यक्त या प्रकट होना (को॰) ।

७. फैलना । विस्तार । फैलाव (को॰) ।

८. लघुखंड । छोटा टुकड़ा ।

९. धान्य का फटकना । शूर्पादि द्वारा अन्न का प्रस्फोटन (को॰) ।

१०. फटना । विदीर्ण होना (को॰) ।