प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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स्नान संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. शरीर को स्वच्छ करने या उसकी शिथि- लता दूर करने के लिये उसे जल से धोना, अथवा जल की बहती हुई धारा में प्रवेश करना । अवगाहन । नहाना । विशेष दे॰ 'नहाना' ^१ ।

२. शरीर के अंगों को धूप या वायु के सामने इस प्रकार करना जिसमें उनके ऊपर उसका पूरा पूरा प्रभाव पड़े । जैसे,—आतपस्नान, वायुस्नान ।

३. पानी से धोकर साफ करना । जल से धोकर शुद्ध करना (को॰) ।

४. देवमूर्ति या विग्रह को नहलाना (को॰) ।

५. स्नानीय जल आदि वस्तुएँ । नहाने के काम में प्रयुक्त जल आदि पदार्थ (को॰) ।