प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सौत ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सपत्नी] किसी स्त्री के पति या प्रेमी की दूसरी स्त्री या प्रेमिका । किसी स्त्री की प्रेमप्रतिद्वंद्विनी । सपत्नी । सौक । सवत । उ॰—(क) देह दुल्हैया की बढ़ ज्यों ज्यों जोबन जोति । त्यों त्यों लकि सौतें सबैं बदन मलिन दुति होति ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) काल ब्याही नई हों तो धाम हू न गई पुनि आदहू ते मेरे सीस सौत को बसाई है ।— हनुमन्नाटक (शब्द॰) । मुहा॰—सौतिया डाह = (१) दो सौतों में होनेवाली डाह या ईर्ष्या । (२) द्वेष । जलन । सौत ला के बिठाना = पत्नी के होते हुए दूसरी स्त्री को घर बैठना या घर में डाल लेना । उ॰—मतलब यह कि कोई सौत ला के नहीं बिठाएँगे ।— सैर॰, पृ॰ २५ ।

सौत ^२ वि॰ [सं॰]

१. सूत से उत्पन्न ।

२. सूत संबंधी । सूत का ।