सेवक

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सेवक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ सेविका, सेवकनी, सेवकिन, सेवकिनी]

१. सेवा करनेवाला । खिदमत करनेवाला । भृत्य । परिचारक । नौकर । चाकर । उ॰—(क) मंत्री, भृत्य, सखा मों सेवक याते कहत सुजान ।—सूर (शब्द) । (ख) सिसुपन तें पितु, मातु, बंधु, गुरु, सेवक, सचिव सखाऊ । कहत राम बिधु बदन रिसौहैं सपनेहु लखेउ न काउ ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) ब्याहि कै आई है जा दिन सों रवि ता दिन सों लखी छाँह न वाकी । हैं गुरु लोग सुखी रघुनाथ, निहालन हैं सेवकनी सुखदा की ।— रघुनाथ (शब्द॰) । (घ) उन्होंने क्षीरोद नामक एक सेवकिन से कहवा भेजा ।—गदाधरसिंह (शब्द॰) । (च) अष्टसिद्धि नवनिद्धि देहुँ मथुरा घर घर को । रमा सेवकिनी देहुँ करि कर जोरै दिन जाम ।—सुर (शब्द॰) ।

२. भक्त । आराधक । उपासक । पूजा करनेवाला । जैसे,—देवी का सेवक । उ॰— मानिए कहै जो वारिधार पर दवारि औ अँगार बरसाइबो बतावै बारि दिन को । मानिए अनेक विपरीत की प्रतीति, पैन भीति आई मानिए भवानी सेवकन को ।—चरणचंद्रिका (शब्द॰) ।

३. व्यवहार करनेवाला । काम में लानेवाला । इस्तेमाल करनेवाला । जैसे,—मद्यसेवक ।

४. पड़ा रहनेवाला । छोड़कर कहीं न जानेवाला । वास करनेवाला । जैसे,—तीर्थसेवक ।

५. सीनेवाला । दरजी ।

६. बोरा ।

सेवक ^२ वि॰

१. सेवा करनेवाला । संमान करनेवाला ।

२. अभ्यास या अनुगमन करनेवाला ।

३. परतंत्र । आश्रित (को॰) ।