प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सेरी पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [देशी] रथ्या । वीथी । तंग गली । उ॰—(क) ढोलउ नरवर सेरियाँ धण पूगल गलियाँह ।—ढोला॰, दू॰ १८९ । (ख) सेरी कबीर साँकड़ी चंचल मनवाँ चोर ।—कबीर ग्रे॰, पृ॰ २२७ ।

सेरी † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [श्रेणी, सेणी, सेढि, सेढी, हि॰ सीढी़] दे॰ 'सीढ़ी' । उ॰—बाह्म लक्ष्य और बहुतेरी । सो जानै जो पावै सेरी ।—सूंदर॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १०५ ।

सेरी ^३ संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰]

१. तृप्ति । संतोष ।

२. मन भरना । अघाने का भाव ।

३. ऊबने की स्थिति या भाव । ऊब ।