सेब

संज्ञा

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  1. फल.

अनुवाद


प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

सेब संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰] नाशपाती की जाति का मझोले आकार का एक पेड़ जिसका फल मेवों में गिना जाता है । विशेष—यह पेड़ पश्चिम का है; पर बहुत दिनों से भारतवर्ष में भी हिमालय प्रदेश (काश्मीर, कुमाऊँ, गढ़वाल, काँगड़ा आदि); पंजाब आदि में लगाया जाता है; और अब सिंध, मध्य- भारत और दक्षिण तक फैल गया है । काश्मीर में कहीं कहीं यह जंगली भी देखा जाता है । इसके पत्ते कुछ कुछ गोल और पीछे की ओर कुछ सफेदी लिए और रोई दार होते हैं । फूल सफेद रंग के होते हैं जिन पर लाल लाल छींटे से होते हैं । फल गोल और पकने पर हलके हरे रंग के होते हैं; पर किसी किसी का कुछ भाग बहुत सुंदर लाल रंग का होता है जिससे देखने में बड़ा सुंदर लगता है । गूदा इसका बहुत मुलायम और मीठा होता है । मध्यम श्रेणी के फलों में कुछ खटास भी होती है । सेब फागुन से वैशाख के अंत तक फूलता है और जेठ से फल लगने लगते हैं । भादों में फल अच्छी तरह पक जाते हैं । ये फल बड़े पाचक माने जाते हैं । भावप्रकाश के अनुसार सेब वात-पित्त-नाशक, पुष्टिकारक, कफकारक, भारी, पाक में मधुर, शीतल तथा शुक्रकारक है । भावप्रकाश के अतिरिक्त किसी प्राचीन ग्रंथ में सेब का उल्लेख नहीं मिलता । भावप्रकाश ने सेब, सिंचितिका फल आदि इसके कुछ नाम दिए हैं ।

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