प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सूत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सूत । तंतु । तार । तागा । डोरा ।

२. यज्ञसूत्र । यज्ञोपवीत । जनेऊ ।

३. प्राचीन कल का एक मान ।

४. रेखा । लकीर ।

५. करधनी । कटिभूषण ।

६. नियम । व्यवस्था ।

७. थोड़े अक्षरों या शब्दों में कहा हुआ ऐसा पद या वचन जो बहुत अर्थ प्रकट करता हो । सारगर्भित संक्षिप्त पद या वचन । जैसे,—ब्रह्ममूत्र, व्याकरणसूत्र । विशेष—हमारे यहाँ के दर्शन आदि शास्त्र तथा व्याकरण सूत्र रूप में ही ग्रथित हैं । ये सूत्र देखने में तो बहुत छोटे वाक्यों के रूप में होते हैं, पर उनमें बहुत गूढ़ अर्थ गर्भित होते हैं ।

८. सूत्र रूप में रचित ग्रंथ । जैसे, अष्टाध्यायी, गृह्मसूत्र आदि (को॰) ।

९. कारण । निमित्त । मूल ।

१०. पता । सूराग । संकेत ।

११. एक प्रकार का वृक्ष ।

११. सूत का ढेर (को॰) ।

१२. योजना ।

१३. तंतु । रेश । जैसे, मृणालसूत्र (को॰) ।

१४. कठपुतली में लगी हुई वह डोरी जिसके आधार पर उन्हें नचाते हैं (को॰) ।

सूत्र तर्कुटी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] तकला । टेकुआ ।