प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सिंदूर संज्ञा पुं॰ [सं॰ सिन्दूर]

१. इँगुर को पीसकर बनाया हुआ एक प्रकार का लाल रंग का चूर्ण जिसे सौभाग्यवती हिंदू स्त्रियाँ अपनी माँग में भरती हैं । विशेष—सिंदूर स्त्रियों का सौभाग्य का चिह्न माना जाता है । गणेश और हनुमान की मूर्तियों पर भी यह घी में मिलाक र पोता और चढाया जाता है । आयुर्वेद में यह भारी, गरम, टूटी हड्डी को जोड़नेवाला, घाव को शोधने और भरनेवाला तथा कोढ़, खुजली और विष को दूर करनेवाला माना गया है । यह घातक और अभक्ष्य है । पर्या॰—नागरेणु । वीरज । गणेशभूषण । संध्याराग । श्रृंगारक । सौभाग्य । अरुण । मंगल्य ।

२. बलूत की जाति का एक पहाड़ी पेड़ जो हिमालय के निचले भागों में अधिक पाया जाता है ।