प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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साहु संज्ञा पुं॰ [सं॰ साधु]

१. सज्जन । भला मानस । उ ।— ताहि न खोजहु साहु के पूता । का पाहन पूजहु अजगूता — कबीर सा॰, पृ॰३९९ ।

२. महाजन । धनी । साहुकार । चोर का उलटा । विशेष— प्राय: वणिकों के नाम के आगे यह शब्द आता है । इसको कुछ लोग भ्रम से फारसी 'शाह' का अपभ्रांश समझते हैं । पर यथार्थ में यहब संस्कृत 'साधु' का प्राकृत रुप है ।