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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

सावन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्रावण]

१. श्रावण का महीना । आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना । श्रावण । मुहा॰—सावन के अंधे को हरियाली सूझना= तुरा ही हरा दिखाई देना या सूझना । अच्छी परिस्थितीयों में रहने या उन्हें देखनेवाले व्यक्ति का प्रतिकूल स्थितियों को भी किसी कारणवश पूर्वर्वत् समझना या जानना । सावन का फोड़ = जल्दी ठीक न होनेवाला घाव । असाध्य रोग । उ॰— पकपक कर ऐसा फुटा है, जैसा सावन का फोड़ा है । — आराधना, पृ॰७३ । सावन हरा न भादों सूखा = समान या तुल्य जानना । समान परिस्थिति का समझना । प्राकृतिक या लौकिक परिवर्तक के प्रभाव से रहित जीवन जीना । उ ।— मगर यहाँ साव हरे न भादो सूखे दोनों बराबर हैं । — फिसाना॰, भा॰३, पृ॰३७७ ।

२. एक प्रकार का गीत जो श्रावण के महीने में गाया जाता है । (पूरब) ।

३. कजली नामक गीत ।

४. आधिक्य । प्रचुरता । राशि ।

सावन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. यज्ञ कर्म का अंत । यज्ञ की समाप्ति ।

२. यज्ञ कर्म का यज्ञमान ।

३. वरुण ।

४. पूरे एक दिन और एक रात का समय । एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक का समय । ६० दंड का समय । विशंष—इस प्रकार के ३० दिनों का एक सावन मास होता है और ऐसे बारह सावन मासों अर्थात् ३६० दिनों का एक सावन वर्ष होता है, मलमासतत्व के अनुसार — 'सौर संवत्सरे दिन षट्काधिक: सावनो भवति' । अर्थात् सौर और सावन वर्ष में लगभग ६ दिनों का अंतर होता है । विशेष— दे॰ 'वर्ष' ।

५. तीस दिवस का मास (को॰) ।

६. एक विशेष वर्ष (को॰) । यौ॰—सावन मास = तीस दिस का महीना । सावनवर्ष = वह साल जो सावन मास या ३६० दिनों का होता है ।

सावन ^३ वि॰ सवन यज्ञ संबंधी [को॰] ।