प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सामना संज्ञा पुं॰ [हिं॰ सामने, पु॰ हिं॰ सम्मुह, सामुँहे]

१. किसी के समक्ष होने की क्रिया या भाव । जैसे,—जब हमारा उनका सामना होगा, तब हम उनसे बातें करेंगे । मुहा॰—सामने आना = आगे आना । संमुख आना । जैसे,— अब तो वह कभी हमारे सामने ही नहीं आता । सामने का = (१) जो समक्ष हो । (२) जो अपने देखने में हुआ हो । जो अपनी उपस्थिति में हुआ हो । जैसे,—(क) यह तो हमारे सामने का लड़का है । (ख) यह तो हमारे सामने की बात है । सामने करना = किसी के समक्ष उपस्थित करना । आगे लाना । सामने की चोट = सीधी चोट । सामने से होनेवाली घातक मार । सामने की बात = आँखों देखी बात । वह बात जो अपनी उपस्थिति में हुई हो । सामने पड़ना = (१)दृष्टि के आगे आना । (२) बाधा खड़ी करना । मार्ग रोकना । सामने से उठ जाना = देखते देखते अस्तित्व समाप्त हो जाना । सामने होना = (१) (स्त्रियों का) परदा न करके समक्ष आना । जैसे,—उनके घर की स्ञियाँ किसी के सामने नहीं होती ।

२. भेंट । मुलाकात ।

३. किसी पदार्थ का अगला भाग । आगे की ओर का हिस्सा । आगा । जैसे,—उस मकान का सामना तालाब की ओर पड़ता है ।

४. किसी के विरुद्ध या विपक्ष में खड़े होने की क्रिया या भाव । मुकाबला । जैसे,—वह किसी बात में आपका सामना नहीं कर सकता ।

५. भिडंत । मुठभेड़ । लड़ाई । जैसे,—युद्धक्षेत्र में दोनों दलों का सामना हुआ ।

६. उद्दंडता । गुस्ताखी । ढिठाई । मुहा॰—सामना करना = धृष्टता करना । सामने होकर जबाब देना । गुस्ताखी करना । जैसे,—जरा सा लड़ाका, अभी से सबका सामना करता है ।