प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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साबर संज्ञा पुं॰ [सं॰ शम्बर]

१. दे॰ 'साँभर' ।

२. साँभर मृग का चमड़ा जो मुलायम होता है ।

३. शबर जाति के लोग ।

४. थूहर वृक्ष ।

५. मिट्टी खोदने का एक औजार । सबरी ।

६. एक प्रकार का सिद्ध मंत्र जो शिवकृत माना जाता है । उ॰— स्वारथ के साथी मेरे हाथ सो न लेवा देई काहू तो न पीर रघुबर दीन जन की । साप सभा साबर लबार भए दैव दिव्य दुसह साँसति कीजै आगे दै या तन की ।—तुलसी (शब्द॰) ।